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आप ले सकते हैं अपनी रेगुलर कार से 30-45 Kmpl माइलेज! क्या ये प्रैक्टिकल है? जानें हमारे साथ

तो कैसे संभव है अपनी रेगुलर कार से 30-45 Kmpl माइलेज खींचना? एक शब्द में – हाइपरमाइलिंग. हाइपरमाइलिंग है वो ड्राइविंग तकनीक जिसका एकमात्र मकसद होता है फ्यूल एफ़िशिएन्सी को मैक्सीमाइज़ करना. लेकिन, क्या ये तकनीक रेगुलर ड्राइवर्स और भारत की आम सड़कों के लिए प्रैक्टिकल है? हम बताएँगे उदाहरण के साथ.

आप ले सकते हैं अपनी रेगुलर कार से 30-45 Kmpl माइलेज! क्या ये प्रैक्टिकल है? जानें हमारे साथ

उदाहरण के तौर पर Dzire Diesel को ले लीजिये. ये है देश की सबसे फ्यूल एफ़िशिएन्ट डीज़ल कार. ARAI, जो की सरकार द्वारा संचालित सर्टिफ़ाइंग एजेंसी है, के मुताबिक एक रेगुलर Maruti Dzire Diesel 28.4 Kmpl का माइलेज डिलीवर करती है. असल दुनिया में Dzire Diesel के मालिक अक्सर हाईवे पर 25 Kmpl का माइलेज रिपोर्ट करते हैं. लेकिन, इनमें रिकॉर्ड-ब्रेकिंग डीज़ल कार्स भी रही हैं, या यूं कहें के रिकॉर्ड-ब्रेकिंग हाइपरमाइलिंग ड्राइव्स की गयी हैं.

उदाहरण के तौर पर, कुछ साल पहले Maruti Suzuki द्वारा आयोजित की गयी एक ‘फ्यूल एफ़िशिएन्सी रैली’ में (हाँ, हमारे जैसे माइलेज के पीछे पागल देश में ऐसी रैलियां वाकई होती हैं) एक Dzire Diesel के मालिक ने 45.8 Kmpl का माइलेज ले कर दिखाया था. जी हाँ, ठीक पढ़ा आपने. और एक और कार मैगज़ीन ने एक Ford Fiesta Diesel Sedan से 32.3 Kmpl खींच लिए. ये दोनों की कारनामे हाइपरमाइलिंग के बूते किये गए थे.

तो कैसे करते हैं हाइपरमाइल?

आपको बस एक खुले हाईवे पर गाड़ी करीब 60 Kph पर चलानी है पांचवे या छठे गियर में. विंडोज थोड़ी खुली होनी चाहियें और कोई ऑडियो नहीं चल रहा होना चाहिए. ब्रेक या क्लच का इस्तेमाल आप सिर्फ तब करें जब बेहद ज़रूरी हो जाये. दूसरे शब्दों में, उन्हें इस्तेमाल न ही करें. गाड़ी न तेज़ करें, न धीमी. बस इस धीमी रफ़्तार से चलते रहें-चलते रहें चाहे कुछ भी हो जाये. और अगर आप ऐसे गाड़ी चलायें तो एक रेगुलर Dzire Diesel से 35 Kmpl से ज्यादा माइलेज खींच सकते हैं. भई, ये Maruti के Dzire Diesel अपने मैक्सिमम फ्यूल एफ़िशिएन्सी के दावे से भी पूरे 20% ज़्यादा है.

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लेकिन, क्या ये प्रैक्टिकल है?

सोचिये, खासकर भारत जैसे देश में बिना AC के चलायी जा रही गाड़ी में आपको कितनी गर्मी लगेगी? और हाईवे पर 60 Kph की रफ़्तार से गाड़ी चलाना आपको तेज़ गाड़ी चलाने वालों के लिए बना देगा एक ‘सिटिंग डक’. एक कहीं ज़्यादा तेज़ ट्रैफिक में धीमी चलने वाली गाड़ी होना निहायत ही असुरक्षित है. दूसरी गाड़ियाँ आपके अगल बगल से तेज़ रफ़्तार में निकलती रहेंगी. अरे आजकल तो लोडेड-ट्रक्स भी तेज़ चलते हैं.

और हमने अभी ये तो बताया ही नहीं की एक खुले हाईवे पर 60 Kph पर गाड़ी चलाना कितना बोरिंग हो सकता है, खासकर जब म्यूजिक भी न चल रहा हो. ये ऐसा होगा जैसे दीवार पर नए पेंट को सूखते देखना. ध्यान दीजिये. ओह हाँ, अगला टोल गेट भी आ रहा है जिसमें आधा किलोमीटर तक गाड़ियों की लाइन लगी है. भूल जाइये! ऐसे गाड़ी चलाने का क्या फायदा!!