Mahindra Thar कई कारणों से ऑफ-रोडिंग शौकीनों की पहली पसंद रही है. सही हाथों में Thar की क्षमता काफी ज्यादा बढ़ जाती है और साथ ही ये एक वैल्यू-फॉर-मनी गाड़ी है जिसे बिना ज्यादा पैसे खर्च किये हुए सही किया जा सकता है. लेकिन Thar कितनी काबिल गाड़ी है? पेश है एक विडियो जिसमें एक Mahindra Thar को एक नदी पार करते हुए दिखाया गया है!
ये नदी कहाँ की है ये तो नहीं पता लेकिन लगता है ये कहीं समतल इलाके की बारिश के मौसम वाली नदी है. नदी में पानी का स्तर भी काफी ज्यादा लग रहा है. विडियो शुरू होने के समय पर एक Mahindra Thar को पहले ही नदी में देखा जा सकता है. नदी के तेज़ बहाव के चलते Thar भी उसमें थोड़ी देर तक बहने लगती है लेकिन जल्द ही उसके टायर्स को ग्रिप मिल जाती है और Thar वापस कण्ट्रोल में आ जाती है. ऐसे हालात में ग्रिप खोना काफी खतरनाक और भयावह हो सकता है. ग्रिप खोने से आप गाड़ी का पूरा संतुलन खो बैठते हैं और आप स्टीयरिंग भी तब तक वापस नहीं मिलती जब तक गाड़ी नदी के तल पर नहीं आ जाए.
Thar को दूसरी तरफ तक पहुँचने के लिए नदी के तेज़ बहाव से जूझते हुए देखा जा सकता है. नदी में आगे बढ़ने के लिए काफी काबिल ड्राईवर की ज़रुरत होती है जो ऐसे हालात में घबराए नहीं. साथ ही यहाँ बताना ज़रूरी है की ऐसे स्टंट कभी भी अकेले नहीं करने करने चाहिए. ऐसा करने से पहले बैकअप गाड़ी का होना बेहद ज़रूरी होता है. दरअसल, आप बिना बैकअप गाड़ी के अनजान रास्तों पर जाना नहीं चाहिए.
जो Mahindra Thar नदी पार करने की कोशिश कर रही है वो ज्यादा मॉडिफाइड भी नहीं है. विडियो से हम देख सकते हैं की इसमें स्नोर्कल लगा है जो इसे पानी में उतरने में मदद करता है. Mahindra Thar में स्नोर्कल फैक्ट्री फिटिंग के रूप में नहीं मिलता है और इसे बाद में लगवाया जा सकता है. स्नोर्कल के अलावे Thar में आफ्टरमार्केट टायर्स भी लगे हैं. आफ्टरमार्केट टायर्स से ज्यादा ग्रिप मिलती है और गाड़ी मुश्किल जगहों तक आसानी से पहुँच सकती है. विडियो में बाकी की गाड़ी स्टॉक ही लगती है.
इतने गहरे पानी में उतरने के लिए काफी प्लानिंग की ज़रुरत होती है. गहरे पानी से गुज़रते हुए ड्राईवर को लगातार एक्सीलीरेटर इनपुट देना होता है ताकि एग्जॉस्ट में इतना प्रेशर बना रहे की पानी वापस अन्दर नहीं आये. साथ ही पानी में आपको आगे की सतह नहीं दिखती है जिससे मुश्किलें और बढ़ जाती हैं. इसलिए ड्राईवर को पत्थरों या नदी के तल में उबड़-खाबड़ सतह के लिए तैयार रहना पड़ता है.