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इंडिया में गाड़ियों का ग्राउंड क्लीयरेंस विदेशों से कम है, और इसका कारण है…

लगभग एक साल पहले, Automotive Research Association of India (ARAI) ने एक फैसला किया था जिसने इंडिया में बिकने वाली सभी कार्स के ग्राउंड क्लीयरेंस को प्रभावित किया है. ARAI ने कार्स के ग्राउंड क्लीयरेंस मापने के नियम में बदलाव किया था. इसी फैसले के चलते इंडिया में बिकने वाली कार्स के ग्राउंड क्लीयरेंस के ‘प्रकाशित’ मान में बड़ी कटौती हुई. उदाहरण के लिए, जहां Toyota Fortuner SUV का ऑस्ट्रेलिया में ग्राउंड क्लीयरेंस 225 एमएम है (नए नियम के चलते) इसी SUV का इंडिया में क्लीयरेंस मात्र 184 एमएम है. इसी तरह, जहां Volkswagen Tiguan का विदेशों में ग्राउंड क्लीयरेंस 189 एमएम है, इंडिया में इसका क्लीयरेंस केवल 149 एमएम है. आये हम इस बड़े अंतर के पीछे के कारण को समझाते हैं.

नया नियम क्या कहता है?

इंडिया में गाड़ियों का ग्राउंड क्लीयरेंस विदेशों से कम है, और इसका कारण है…

पिछले साल ARAI द्वारा जारी किये गए अपडेट के मुताबिक़, गाड़ी का ग्राउंड क्लीयरेंस गाड़ी के फुली लोडेड होने पर मापा जाएगा. पूरी तरह से भर जाने पर गाड़ी का सस्पेंशन दब जाता है जो इसका ग्राउंड क्लीयरेंस कम कर देता है. ग्राउंड क्लीयरेंस मापने के तरीके को बदलने के चलते ARAI ने हर कार का आधिकारिक ग्राउंड क्लीयरेंस एक बड़े अंतर से कम कर दिया है.

अंतर्राष्ट्रीय नियम क्या है?

दुनियाभर में कार का ग्राउंड क्लीयरेंस उसके पूरी तरह खाली होने पर मापा जाता है. यही कारण है की ऊपर दिए गए प्रीमियम SUVs का ग्राउंड क्लीयरेंस माप विदेश में इंडिया के मुकाबले ज़्यादा है.

क्या ये नियम असल दुनिया में कोई अंतर लाएगा?

जैसा की आपने ध्यान दिया होगा, ये नया नियम गाड़ी के ग्राउंड क्लीयरेंस मापने का तरीका बदल देता है. इसलिए, जहां आधिकारिक ग्राउंड क्लीयरेंस आंकड़े में बड़ा बदलाव नज़र आएगा, असल में गाड़ी का ग्राउंड क्लीयरेंस बिल्कुल नहीं बदलता. बस कागज़ पर ग्राउंड क्लीयरेंस कम हो गया है. असल दुनिया में कुछ नहीं बदला. इसलिए आपको नयी कार खरीदते वक़्त ग्राउंड क्लीयरेंस आकंड़ों में कमी को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए.

लेकिन नियम में ये बदलाव क्यों?

इंडिया में गाड़ियों का ग्राउंड क्लीयरेंस विदेशों से कम है, और इसका कारण है…

इस नियम में बदलाव के पीछे एक बड़ा कारण है. 2013 में केंद्रीय बजट में 170 एमएम से ज़्यादा ग्राउंड क्लीयरेंस वाले कार्स पर 3 प्रतिशत का अतिरिक्त कर लगेगा. इससे कई SUVs की कीमत बढ़ जाती. Mahindra ने एक तरकीब लगायी जिससे वो इस नियम से बच सकते थे. उन्होंने XUV500 का स्टोन-गार्ड थोडा नीचे लगा दिया. उस वक़्त, आधिकारिक ग्राउंड क्लीयरेंस का लेवल बिना भरे हुए गाड़ी के हिसाब से नापा जाता था. स्टोन-गार्ड के नए पोजीशन की मदद से XUV500 का ग्राउंड क्लीयरेंस 170 एमएम से कम था.

इससे निर्माता अतिरिक्त टैक्स देने से बच जा रहे थे. लेकिन, ARAI ने जल्द ही Mahindra की चतुराई पकड़ ली. इसलिए, नियामक बॉडी ने ग्राउंड क्लीयरेंस मापने का तरीका बदल दिया. नियम में इस बदलाव के ज़रिये, ARAI ने Mahindra जैसे कार निर्माता को टैक्स बचाने का जुगाड़ अपनाने से रोक लिया. साथ स्टोन गार्ड नीचे करने से ग्राउंड क्लीयरेंस कम होती और इससे कस्टमर्स को बड़ी दिक्कतें आतीं. और ज़रा सोचिये, स्टोन गार्ड नीचे करने से छोटी-छोटी बाधाओं को पार करने में भी दिक्कत आती.