Deborah Azzopardi और Daryl Cauchi माल्टा में रहने वाले एक बाइकर जोड़ा है जो पुरे विश्व के मोटरसाइकल ट्रिप पर निकले हैं. अपनी Suzuki V-Strom 650 मोटरसाइकल पर इस जोड़े ने पिछले कुछ महीनों में लगभग पूरे भारत का भ्रमण कर लिया था और इस समय ये दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर बढ़ रहे हैं. फ़िलहाल यह बाइकर जोड़ा भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का भ्रमण कर रहा है और इसके बाद इनका इरादा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की ओर निकलने का है. भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य नागालैंड में इस बाइकर जोड़े का सामना एक अप्रिय घटना से तब हुआ जब गुस्साए गांववालों ने इन्हें कैंप करने से रोक दिया. बाद में इस ही गाँव के कुछ भले लोगों ने उन्हें कैंप लगाने की इजाज़त दे दी और इनका हालचाल लेते हुए यह सुनिश्चित किया कि इन्हे कैंपिंग के दौरान कोई तकलीफ़ न हो.
यहां आप खुद Deborah Azzopardi की ज़ुबानी जानिए कि उनके साथ नागालैंड के उस गाँव में आखिर हुआ क्या
स्वागत? नहीं, बिलकुल नहीं
वह इतवार का दिन था. जब हम Khonoma पहुंचे तो देखा की लोगों का एक बड़ा समूह चर्च से आ रहा है. हम उनके वहां से निकल जाने का इंतज़ार करने लगे.
इसी बीच अचानक ही एक व्यक्ति — जिसने हाथ में बाइबिल पकड़ रखी थी — हमारे पास आया और कड़ी आवाज़ में बोला “ तुम लोग कहाँ जा रहे हो? तुम्हें क्या चाहिए? इस रास्ते पर आगे केवल एक चर्च है. यहां से वापस लौट जाओ!”
“हम यहाँ Khonoma देखने आए हैं.”
गांव जाने वाले रास्ते की मरम्मत चल रही थिस और वो बंद था.
“अपनी बाइक को यहीं पर पार्क कर दो और पैदल ऊपर जा कर कोई होटल ढूंढ लो.”
हम अपनी लोडेड बाइक को पार्क करके कभी भी यहाँ वहां नहीं जाते इसलिए हमने पास ही पड़ने वाले एक दुसरे गांव Dzuleke का रुख कर लिया.
हमने वहां पहुंच कुछ खाने जा सामान खरीदा और एक शांत सी जगह देख कर दोपहर होते होते अपना टेंट लगा लिया.
सोमवार को भी हमने यहीं रुकने का फैसला किया. किसी भी गांव वाले ने हमसे कुछ भी नहीं कहा. आते जाते हमारे बीच मुस्कुराहटों के आदान प्रदान हुआ.
वहां माहौल बहुत ही शांतिपूर्ण था और हमें किसी भी बात की जल्दी नहीं थी. हम चुपचाप, बिना किसी भी प्रकार के सम्पर्क के अपने खाली समय में उस शांत वातावरण का आनंद ले रहे थे. वहां आस पास कुछ गांववाले भी मौजूद थे और हमने उनमें से एक व्यक्ति के साथ लगभग एक घटे की बातचीत में नागालैंड के बारे में कुछ बहुत ही दिलचस्प बातें भी जानीं. मैंने उस व्यक्ति का हमें अपनी ज़मीन पर रुकने देने का शुक्रिया अदा किया और वो व्यक्ति वहां से चला गया.
शाम के लगभग 4 बजे (5 बजे वहां अँधेरा हो जाता है) जब मैं टेंट में था तो मैंने Daryl को किसी व्यक्ति से बातचीत करते हुए सुना. वह व्यक्ति Daryl को कह रहा था कि यहाँ कैंप लगाने की परमिशन के लिए ऑफिस जाओ (जहां पहुंचने के लिए 15 किलोमीटर के टूटे फूटे, कीचड़ भरे रास्ते को पार करना पड़ता) या फिर अपना सामान बांधो और यहाँ से निकल जाओ .
अगर कम शब्दों में कहें तो असल में हम अभी भी Khonoma में ही थे, Dzuleke गांव से मात्र 1 किलोमीटर दूर और ये बात भी साफ़ हो चली थी कि ये लोग परमीशन का तो बहाना बना रहे थे. असल में वो हमें वहां से भगाना चाहते थे. फिर मैंने सुना की किसी ने टॉप बॉक्स पर ज़ोर से हाथ मारा और आवाज़ें शोर में बदलने लगीं। मैं जैसे ही टैंट के बाहर निकला तो मैंने देखा की दो व्यक्ति Daryl पर हाथ उठाने ही वाले थे.
कुछ ही क्षणों में ये 5 लोग गुस्से में आकर हिंसा पर उतारू हो गए और कहने लगे “ये हमारा गांव है!! जाओ यहां से !!भाग जाओ”
मेरी घबराहट बढ़ गयी और मैं तुरंत ही चिल्लाने लगा “इसे हाथ मत लगाना !!!!” जो व्यक्ति सबसे ज़्यादा बातचीत कर रहा था उसने मुझे भी धक्का दे दिया. यह वो व्यक्ति था जो कल हाथ में बाइबिल लिए हुए चर्च से बाहर निकला था. उसने अपनी बातों में यह भी बताया कि वो यूथ कॉउन्सिल का अध्यक्ष है.
मैं सदमे में था और वो नहीं कर पा रहा था जो मैं करना चाहता था क्योंकि वहां कुछ भी अप्रत्याशित घटने की सी स्थिति पैदा हो गई थी. मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे और मैंने रोते रोते उनसे कहा की अपने पिछले एक साल के सफर में हमने एक भी बार इस किस्म की अप्रिय घटना का सामना नहीं किया. मैंने उन लोगों से अपना सामान शांति से पैक कर लेने के लिए समय माँगा और कहा की आधे घंटे बाद आप हमें यहाँ नहीं पाएंगे.
इसके बाद हमने अपना टेंट 2 किलोमीटर की दूरी पर Dzuleke गांव में लगाया. और एक बार फिर जब हम सो चुके थे तो कुछ गांववाले हमारे टेंट पर आ धमके. लेकिन खुशकिस्मती से इस बार ये लोग हमें वहां से भगाने के लिए नहीं बल्कि हमारा हाल चाल पूछने आये थे. उनहोंने हमसे पूछा की क्या आप लोग ठीक हैं, कहीं आप रास्ता तो नहीं भटक गए? जब उन्हें विश्वास हो गया की हम ठीक ठाक हैं तो वे लोग हमें शुभरात्रि कह कर चले गए.
अगले दिन हमने उन लोगों को ढूंढने का पूरा प्रयास किया जिन्होंने पिछली शाम हमारे साथ बदतमीज़ी की थी. हमें उम्मीद थी कि हम उन लोगों के बारे में जानकारी जुटा लेंगे लेकिन ऐसा हो नहीं सका. प्रिय नागालैंड वासियों, अगर आप इसे देख रहे हैं तो कृपा कर इस घटना को लोगों में फैलाइये, ताकि इन लोगों जैसे थोड़े से लोग पूरी नागा बिरादरी को बदनाम न कर पाएं.
सीख –
- कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनसे बहस या लड़ाई करने का कोई फायदा नहीं होता, भले ही आपका मन लाख आपको ऐसा करने के लिए कह रहा हो.
- सफर के दौरान आपको कुछ बहुत बढ़िया लोग मिलेंगे लेकिन दुनिया में बेवकूफों की भी कमी नहीं है.
- इस घटना ने हमारे मन में नागालैंड वासियों के बारे हमारी अवधरणा में कोई बदलाव नहीं किया है. इस अप्रिय घटना के सिवाय हमें हर नागालैंड वासी दोस्ताना मिजाज़ का लगा.
- और चर्च/मंदिर/मस्जिद जाने से या कोई पवित्र ग्रंथ हाथ मैं पकड़ लेने से कोई अच्छा इंसान नहीं बन जाता. आपके कर्म ही आपको अच्छा इंसान बनाते हैं.
Via HVKumar