Toyota Innova और Tata Hexa दो फेमस 7 सीटर यूटिलिटी गाड़ियाँ हैं जो ढेर सारे लोगों को काफी आराम से एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए जानी जाती हैं. तो क्या होता है जब ऐसी दो 7-सीटर गाड़ियाँ एक दूसरे से एक ड्रैग रेस में दो-दो हाथ करती हैं? नीचे Motorbeam का विडियो देखिये और जानिये इस रेस का निष्कर्ष.
आश्चर्यजनक रूप से Hexa तेज़ शुरुआत करती है लेकिन Toyota Innova Touring Sport जल्दी ही उसे पकड़ लेती है और रेस जीतने के पहले Tata से काफी आगे निकल जाती है. इस रेस में इस्तेमाल की गयीं दोनों कार्स अपने मॉडल का डीजल ऑटोमैटिक वर्शन हैं. तो आखिर Toyota Innova Crysta ये रेस कैसे जीत गयी? आइये इसके कारणों पर एक नज़र डालते हैं:
1) इंजन
Tata Hexa की तुलना में Toyota Innova Touring Sport काफी पॉवरफुल है. Hexa का 2.2-लीटर टर्बो डीजल इंजन 4,000 आरपीएम पर 154 बीएचपी और 1,700 आरपीएम पर 400 एनएम का टॉर्क उत्पन्न करता है.
वहीँ दूसरी तरफ Innova Touring Sport का बड़ा 2.8-लीटर टर्बो डीजल इंजन कम रेव पर Hexa से 18 बीएचपी ज़्यादा उत्पन्न करता है और 3,400 आरपीएम पर 172 बीएचपी एवं केवल 1,200 आरपीएम पर 360 एनएम टॉर्क उत्पन्न करता है.
बेहतर टर्बो और ज़्यादा तेज़ रेव करने वाले इंजन के चलते कम आरपीएम पर ये अतिरिक्त टॉर्क और पॉवर Innova को Hexa से आगे बढ़ने में मदद करता है.
2) पॉवर और वज़न का अनुपात
Innova में पॉवर ज़्यादा है लेकिन ये Hexa से 40 एनएम कम टॉर्क उत्पन्न करती है. लेकिन, Innova के पास एक और बढ़त है जो Hexa के ज़्यादा टॉर्क के प्रभाव को बराबर कर देता है.
Innova Touring Sport का वज़न Hexa के मुकाबले 460 किलो कम है! Hexa से तुलन की जाए तो Innova का पॉवर और वज़न का अनुपात कहीं बेहतर है जहां Innova के आंकड़े 94.50 बीएचपी/टन हैं, Tata की गाड़ी 67.54 बीएचपी/टन के साथ कहीं पीछे हैं.
ये हमें बताता है की Innova धीरे शुरू होने के बावजूद Hexa को पछाड़ जीत तक क्यों पहुंची. वज़न में इतने बड़े अंतर के साथ Hexa को हराना Innova के लिए बायें हाथ का खेल था. साथ ही, Innova में पॉवर भी ज़्यादा है इसलिए रेस के शुरुआत में Hexa के ज़रा से आगे जाने के बावजूद जीत तो Innova की ही होनी थी.