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Swift के Engine वाली Diesel Maruti Gypsy 4×4, खुद देखिये! [VIDEO]

पिछले कई सालों से Maruti Gypsy पूरे देश की सबसे वांछित ओपन-टॉप 4×4 है. अपने प्रोडक्शन के चौथे दशक में चल रही Gypsy एक हद तक अपने कम कम्फर्ट और पेट्रोल इंजन के महंगे मेंटेनेंस के चलते एक सीमित वर्ग के लोगों को ही लुभाती है. आप हमें गलत मत समझिये — भरोसे के मामले में अभी वाला 1.3 लीटर पेट्रोल इंजन बुलेट-प्रूफ़ है और इसे मॉडिफाई करना काफी आसान है. लेकिन इसके कुछ ओनर्स और फैन्स हैं जिन्हें ज्यादा टॉर्क और माइलेज वाला डीजल इंजन ज्यादा पसंद आता है. और Mohali के Cartoq रीडर Ranbir ने अपनी Maruti Suzuki Gypsy के साथ हाल में कुछ ऐसा ही किया.

Swift के Engine वाली Diesel Maruti Gypsy 4×4, खुद देखिये! [VIDEO]

मॉडिफिकेशन

इस पुराने 1.3-लीटर MPFi पेट्रोल इंजन को एक 1.3-लीटर DDiS डीजल इंजन से रिप्लेस किया गया है जो उनके दोस्त की एक्सीडेंटल (और टोटल लॉस) Maruti Swift से लिया गया है. Ranbir ने इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने वही गियरबॉक्स इस्तेमाल किया है और पॉवर फिर भी चक्कों तक जा रहा है. ये 4×4 सिस्टम चलता है और आप मैन्युअली 4H या 4L सेलेक्ट कर सकते हैं और पॉवर को आगे के चक्कों तक भेज सकते हैं. और तो और उन्होंने इस बात का भी दावा किया है की उन्होंने दोनों छोर पर मैन्युअल डिफरेंशियल लॉक लगाए हैं. और पिछले सीजन में ये Gypsy लद्दाख का एक चक्कर भी काट आई है.

ये 1.3 लीटर पेट्रोल Gypsy अपने फ्यूल इन्जेक्टेड अवतार में 80 बीएचपी उत्पन्न करती है. वहीँ इसका अधिकतम टॉर्क सिर्फ 103 एनएम है. वहीँ इसके उलट 1.3 लीटर DDiS 74 बीएचपी का पॉवर और 190 एनएम का अच्छा ख़ासा टॉर्क उत्पन्न करती है. और तो और जहां पेट्रोल Gypsy शहर की सड़कों पर करीब 8-10 किमी/लीटर का माइलेज देती है डीजल वर्शन इसका दोगुना माइलेज देता है.

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दिक्कतें

इतने ज्यादा टॉर्क के साथ मैकेनिकल पार्ट्स पर ज्यादा ज़ोर पड़ेगा जो उनके चलते वक्त फेलियर के चांसेस काफी बढ़ा देगी. Gypsy पेट्रोल का अभी का गियरबॉक्स 190 एनएम का टॉर्क संभाल पाने में सक्षम नहीं है. उसी तरह ट्रान्सफर केस, डिफरेंशियल और एक्सल को इस अतिरिक्त भार को संभालने के लिए ज्यादा मॉडिफाई करना होगा या बदलना होगा. फिर, NVH (noise, vibration, harshness) लेवल गड़बड़ हो जायेंगे. डीजल मोटर से सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस निकालने के लिए ओरिजिनल Gypsy के गियरबॉक्स के गियर रेश्यो को एक एक्सपर्ट के द्वारा बदलवाना होगा.

पेट्रोल Gypsy में केबिन और इंजन कम्पार्टमेंट के बीच में लगभग कोई इंसुलेशन नहीं है. इंजन बे में DDiS मोटर के लिए रबर माउंट नहीं हैं इन बातों के चलते गाड़ी के चलते वक़्त केबिन में काफी शोर होगा और आपको स्टीयरिंग, गियर लीवर, और पेडल के ज़रिये वाइब्रेशन महसूस होगा. इसके बावजूद, Ranbir इस कन्वर्शन से काफी खुश हैं. उन्होंने एक एयर-कंडीशनर लगवाया है और खिड़कियाँ चढाने के बाद उनके मुताबिक़ उनके लिए साउंड लेवल सही रहता है.

कानूनी?

हाल के दिनों में बड़े शहरों में पुलिस ने कार्स के आफ्टर-मार्केट मॉडिफिकेशन पर कार्यवाई करना शुरू कर दिया है. इनमें बड़े टायर्स, LED लाइट्स, परफॉरमेंस एग्जॉस्ट, और बाकी चीज़ें शामिल हैं. इसलिए इंजन के बदलाव के बाद इतने बड़े मॉडिफिकेशन से दिक्कतें आ सकती हैं. हमें इस बात पर भी संदेह है की आपको पेट्रोल से डीजल का बदलाव शायद गाड़ी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर भी लिखना होगा. हाँ अगर आप छोटे शहर में रहते हैं आप पुलिस से बच सकते हैं लेकिन हम गाड़ी में इतने बड़े बदलाव की सलाह नहीं देते. और दिल्ली जैसे शहरों में आप 10 साल से ज्यादा पुराणी डीजल गाड़ियों को इस्तेमाल नहीं कर सकते.

ऊंची कीमत

हमें टर्बोचार्ज्ड डीजल Gyspy 4×4 का आईडिया बहुत पसन्द है लेकिन इसके ऊंचे दाम के चलते सेकंड-हैण्ड Mahindra Thars ज्यादा बेहतर लगती हैं. कम इस्तेमाल किया हुआ DDiS इंजन एक लाख रूपए से कम में नहीं मिलेगा और यहाँ पर Ranbir की किस्मत अच्छी थी. और उसके साथ दुसरे पार्ट्स, फिटमेंट, लेबर और दुसरे खर्चे जोड़ लीजिये तो आपका बिल 1.5 लाख रूपए के आसपास पहुँच जायेगा, साथ ही डोनर गाड़ी का खर्च भी. इसके बदले आप इस्तेमाल की हुई Mahindra Thar Di 4×4 को 4-5 लाख रूपए या Thar CRDe को 5-6 लाख रूपए में खरीद सकते हैं और CRDe अपने फैक्ट्री फिटेड पॉवर स्टीयरिंग और एयर-कंडीशनिंग के चलते Gypsy से ज्यादा आरामदायक है.

दूसरा उदाहरण

पेश है एक और उदाहरण जहां Maruti Gypsy 4×4 में Swift / DZire से लिया गया एक DDiS डीजल इंजन है. लेकिन, इसके ओनर ने एक कदम आगे जाकर इसमें पॉवर स्टीयरिंग और Maruti Ritz का स्पीडो और टैकोमीटर लगवाया है. है न लाजवाब?

हमारी राय

ऊंचे कीमत के चलते और ये बात की इंडिया के सड़कों पर डीजल Gypsy 4×4 चालान गैरकानूनी है, इसके चलते हम इस इंजन बदलने के मॉडिफिकेशन की सलाह नहीं देंगे. लेकिन, आप छोटे शहरों में क़ानून से बाख सकते हैं और सिर्फ शौक के लिए ये प्रोजेक्ट काफी बेहतर है. शुरू हो जाइए!