जब मैंने 650 की राइड के लिए गोवा के लिए उड़ान भरी तो मेरे दिमाग में बहुत सारे सवालों और आशंकाओं का सैलाब आया हुआ था. एक समय पर Himalayan मोटरसाइकल का नाखुश नहीं तो खुश भी नहीं मालिक होने के नाते मैं इस बात को लेकर तो आश्वस्त था कि Royal Enfield एक सटीक मोटरसाइकल बनाने में कभी भी सफल नहीं हो पाएगी. पर जब मुझे 650 की सवारी करते हुए मात्र दस मिनट ही बीते थे तो मैं अपनी धारणा को ध्वस्त होते देख अपना सिर हिलाते हुए अविश्वास में हेलमेट के अन्दर हँस रहा था.
इस लेख को पढ़ रहे लगभग तमाम पाठक अब तक इस बाइक की कीमतों से परिचित हो चुके होंगे. इस बाइक ने प्रतिस्पर्धा नाम की चिड़िया को अपने आस-पास भी फटकने लायक नहीं छोड़ा है. साथ ही आपको इस बाइक के साथ तीन साल की वारंटी मिल रही है और इतने ही समय का RSA (रोड साइड असिस्टेंस) सपोर्ट. लेकिन क्या यह लाजवाब कीमत आपको इस बाइक की क्षमताओं से किसी प्रकार के समझौते के एवज़ में उपलब्ध कराई जा रहीं हैं? आगे पढ़िए…
इन दोनों नई 650s — Interceptor और Continental GT — को बनाने वालों के दिमाग में इनके डिज़ाइन को लेकर एक शुद्ध खाका पहले ही तैयार था. ये दोनों बाइक्स आधुनिक युग की रेट्रो क्लासिक्स हैं जो गुज़रे ज़माने की याद ताज़ा करने के लिए बनी. इन्हें बिना किसी तड़क-भड़क के कूल दिखने के लिए बनाया गया है और पूरे बाइक का केंद्र इनका नया इंजन है. न्यूनतम स्तर का बॉडी वर्क के साथ यह बाइक विशाल दिखती है और इसमें दो क्रोम साइलेंसर अपनी चमकदार उपस्थिति की घोषणा करते हैं. इन दोनों बाइक्स में एक जैसे स्पोक व्हील्स, टायर, ब्रेक्स और सस्पेंशन सेट-अप लगे हैं. इन दोनों बाइक्स में जो सबसे बड़े तीन अंतर हैं वो हैं – फ्यूल टैंक, हैंडल बार और फुट पेग्स की पोजिशनिंग. व्यक्तिगत तौर पर मेरा दिल GT से ज़्यादा Interceptor पर आया लेकिन आप में से कई लोग GT पर ही अपना हाथ रखेंगे.
ये एक बहुत ही अच्छी बात है की Royal Enfield ने इन दोनों बाइक्स में रंगों पर काम किया है. साथ ही, कंपनी इन बाइक्स के साथ 40 किस्म की एक्सेसरीज़ भी उपलब्ध करवा रही है जो इनको भीड़ से अलग दिखने में सहायक होंगी. कंपनी ने इन बाइक्स की फिट और फिनिश सुधारने के लिए खूब मेहनत की है (नई Himalayan और 500x इस बात का बेहतरीन उदाहरण हैं) लेकिन 650s ने इस मामले में एक नया ही कीर्तिमान स्थापित किया है. इन बाइक्स की पेंट गुणवत्ता लाजवाब है और साथ ही यह सही में मज़बूत और करीने से बनायी गईं बाइक्स लगती हैं. कुछ लोग इसकी पतली ग्रैब रेल या खुले पाइप्स/ लाइन्स जैसी अन्य कमज़ोरियों पर नाक मुंह सिकोड़ सकते हैं लेकिन मेरे दोस्तों इन बाइक्स की कीमतों पर एक नज़र डालते ही आपके सारे गिले शिकवे दूर हो जाएंगे.
इन बाइक्स में दी गई किट भी अच्छे स्तर की है. जहां ट्विन पॉड स्पीडोमीटर कंसोल में लगा LCD डिस्प्ले थोड़ा छोटा है, लेकिन इसका लुक काफी रेट्रो है. लेकिन मेरे अनुसार इसमें एक घड़ी, गियर इंडिकेटर और एक फ्यूल इकॉनमी डिस्प्ले होना ही चाहिए था. इन दोनों बाइक्स में ABS स्टैण्डर्ड होने के साथ साथ स्लिपर क्लच भी दिए गया है. इनमें USD (up-side down) फोर्क्स या पीछे मोनो-शॉक जैसे मॉडर्न पार्ट्स नहीं मिलेंगे लेकिन इनमें मौजूद सेट-अप बिल्कुल इन बाइक्स के लिए ही बना हुआ दिखता है. इनके फ्रंट फोर्क्स बड़े हैं और पीछे वाले गैस चार्ज्ड. इसके स्पोक वाले व्हील्स पर Pirelli के टायर ट्यूब लगे हैं – हाँ, अभी तक ट्यूबलेस नहीं, लेकिन Rudratej (RE के प्रसीडेंट) से बातचीत में उन्होंने पुष्टि की है कि अगले साल इसकी उम्मीद की जा सकती है क्योंकि ऐसे उत्पादों के लिए बाज़ार में काफी गुंजाईश बाकी है!
इन बाइक्स में दो सिलेंडर वाला बिल्कुल-नया 650 सीसी इंजन लगाया गया है. यह एक एयर-कूल्ड इंजन है (मगर इसमें ऑइल कूलर लगा है) और ये 47 बीएचपी की पॉवर के साथ 54 एनएम टॉर्क पैदा करता है. इन कीमतों पर कोई भी मोटरसाइकिल ऐसे आंकड़े नहीं देती (यहाँ तक की KTM 390 भी नहीं) और एक Enfield के हिसाब से 650 एक गंभीर रूप से त्वरित बाइक है. यह बाइक शून्य से 100 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार मात्र 6.5 सेकंड में पकड़ लेती है और सड़क आपका साथ दे तो आप इस बाइक के स्पीडोमीटर के कांटे को 170 किमी प्रति घंटे तक भी ले जा सकते हैं, वहीँ 140 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार को पाना तो बहुत आसान है. जब हम इस बाइक पर सवार हो अपने उत्तर गोवा के होटल से बाहर निकले तो मेरे चेहरे पर फैली मुस्कान इस बात की गवाही दे रही थी कि मुझे इसे चलाने में मज़ा आ रहा है. पहले मैंने GT की सवारी की और मिनटों के अंदर पहली दो गियर्स में ही रेव लिमिटर अपनी सीमा के पार जाने लगा और मुझे जल्द ही बाइक को ऊपर की गियर पर शिफ्ट करना पड़ा. मैं अपने ख़्वाबों में भी किसी Enfield को इस कदर तेज़ रेव करने की नहीं सोच सकता था जितना इस बाइक ने कर दिखाया. इसकी बात करें तो यह बाइक पहले गियर में 70 किमी प्रति घंटा, दूसरे गियर में 100 किमी प्रति घंटा और तीसरे गियर में 120 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार पकड़ने में सक्षम है. इसके हाईवे वाले वीडियो में बाइक का टैकोमीटर 100 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार पर 4000 आरपीएम के आंकड़े को छूता दिख रहा है, इसका मतलब यह हुआ कि इस स्थिति में भी इस बाइक में अपने से तेज़ चल रहे ट्रैफिक को ओवरटेक करने के लिए भरपूर ताकत संरक्षित है. यह बाइक पूरे दिन 120 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार पर चलते रहने का कलेजा रखती है. साथ ही इस बाइक में अपनी कीमतों की श्रेणी की दूसरी बाइक्स से जुदा जिस बेहतरीन स्तर की टॉर्क मुहैय्या किया गया है वो आपको धीमे होते ट्रैफिक में भी हर बार निचले गियर पर जाने को मजबूर नहीं करता. यह सही में मज़ेदार है!
एक काउंटरबैलेंसर और एक 270 डिग्री फायरिंग आर्डर के साथ इन 650s का इंजन इतना स्मूथ है की भरोसा ही नहीं होता की ये RE बाइक्स हैं. हमने इन बाइक्स की सवारी एक समूह में की और सभी बाइक्स की आवाजों के मिलाप से जो असर पैदा हो रहा था उसे कानों के लिए संगीत के सिवा कुछ नहीं कहा जा सकता. गोवा की संकरी सड़कों पर इन बाइक्स को इनकी विभिन्न गियर्स पर तेज़ रफ्तार दौड़ाने का एहसास काफी मजेदार रहा और अब मुझे इन बाइक्स के SnS परफॉरमेंस एग्जॉस्ट का बेसब्री से इंतज़ार है जो हमें भारत में अगले साल ही देखने को मिल जाएंगे. इन परफॉरमेंस एग्जॉस्ट के साथ इस बाइक को चलाने का मज़ा कुछ अलग ही होगा.
दिन के भोजन के बाद जब मैं Interceptor की सवारी पर निकला तब मेरी ख़ुशी सातवें आसमान को छू रही थी. सुबह जल्दी उठ जाने की वजह से मेरा शरीर ज़रा थकान महसूस कर रहा था लेकिन Interceptor की सवारी करते हुए थकान में कोई इजाफा नहीं हुआ और जल्द ही मैं आराम वाले राइडिंग पोजीशन में आ गया. मैंने अपनी पूरी राइड के दौरान ज्यादातर बाइक के चौथे और पांचवे गियर का ही इस्तेमाल किया जिसका मतलब 2000 से 4000 आरपीएम के बीच मिलने वाले सारे टॉर्क का पूरा- पूरा इस्तेमाल. असल में यह इंजन 3000 आरपीएम के अंदर ही अपना 80 प्रतिशत टॉर्क पैदा करता है जिसका मतलब है की चढ़ाई पर भी आपको इस बाइक को निचली गियर पर ले जाने की ज़रुरत नहीं पड़ती. नीचे रेव्स पर भी ये इंजन अच्छी आवाज़ पैदा करता है साथ ही इसके ट्विन साइलेंसर से निकलती गहरी गुर्राहट की ओट में बात ही क्या. मुझे विश्वास है कि इस तरीके से चलाये जाने पर यह बाइक्स 22-25 किमी प्रति लीटर की बढ़िया माइलेज जरूर देंगी जिसका मतलब यह हुआ की असल दुनिया में इनकी राइडिंग रेंज 300 किलोमीटर के आसपास होगी.
इन दोनों बाइक्स में एक जैसा 6-स्पीड गियरबॉक्स लगा है जिसका गियर का अनुपात भी बराबर है. Enfield का दावा है कि इस बाइक में लगा स्लिप असिस्ट क्लच काफी सुविधाजनक है लेकिन मैंने ट्रैफिक के अनुसार शाम तक जितनी बार मुझे गियर बदलने पड़े तब तक बायें लेफ्ट हाथ में दर्द उठ गया था. लेकिन इस बाइक को ऊपर या नीचे के गियर्स पर ले जाने के लिए इसके क्लचलेस शिफ्ट्स जादू की तरह काम करते हैं.
तो जहाँ एक ओर GT आपके अंदर के बाइकर को उकसाती है वहीँ Interceptor ज्यादा आराम वाली बाइक है. इसका सीधा स्टांस आरामदायक है और इसके चौड़े हैंडलबार को राइडर की पसंद के अनुसार एडजस्ट किया जा सकता है. इन दोनों बाइक्स के बारे में मेरी पसंद ये है और इन बाइक्स पर आप बड़ी आसानी से ट्रैफिक को चीरते हुए निकल सकते हैं. वापसी के दौरान हम अपने होटल पर जल्दी पहुंचना चाहते थे लेकिन हमें पंजिम के शाम के वक्त के ट्रैफिक का सामना करना पड़ा. इसके साथ ही एक नए फ्लाईओवर के निर्माण कार्य के चलते हमारी रफ़्तार बहुत ही कम हो गई और ऐसे में जल्दी होटल पहुँचने के लिए हमें अपनी बाइक्स को तेज़ रफ़्तार में ट्रैफिक को छकाते हुए निकलना पड़ा. वैसे मैं आपको ऐसा करने की सलाह नहीं दूंगा लेकिन वज़नी Interceptor के साथ ऐसा करने में कोई दिक्कत नहीं आई. हैंडलिंग के मामले में Himalayan एक अविष्कार थी और Interceptor इस अविष्कार को एक स्तर ऊंचा उठा रही है. गोवा के घुमावदार सड़कों पर मेरे सीधे बैठे होने के बावजूद बाइक बड़े संतुलन के साथ झुक और मुड़ रही थी.
अपने नीचले हैंडलबार और रियर सेट पेग्स की वजह से GT एक दूसरे ही किस्म की बाइक है. हाँ इसका राइडिंग स्टांस ज़्यादा स्पोर्टी ज़रूर है लेकिन आक्रामक नहीं. GT पर हमने दक्षिण गोवा की ओर लगभग 130 किलोमीटर का सफर किया. इस पूरे रास्ते में मेरा सामना बढ़िया सपाट सड़क से लेकर, संकरी गलियों, ट्रैफिक, और लगभग सौ स्पीडब्रेकर्स से हुआ होगा. रास्ते में हमने केवल दो ब्रेक भी लिए लेकिन इस सफर को पूरा करने पर मुझे ज्यादा थकावट महसूस नहीं हुई. हाँ ये बात अलग है कि सैंकड़े के आंकड़े पर झुकने का फायदा मिलता है, लेकिन रोजाना की ड्राइविंग के लिए ये आरामदायक है (GT बाइक्स के बीच) और इस बाइक का इस्तेमाल कॉर्पोरेट में काम करने वाले लोग रोज़ ऑफिस जाने के लिए कर सकते हैं. GT को टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर चलाने का मज़ा ही अलग है और ऐसा आप तेज़ रफ़्तार पर भी कर सकते हैं. ऐसे हालात में आपको राइडिंग का असल एहसास मिलता है.
इन दोनों बाइक्स में एक जैसे सस्पेंशन लगे हैं यानी सामने मोटे फ्रंट फोर्क्स और पीछे गैस चार्ज्ड ट्विन शॉकर्स. जैसा की मैंने कहा कि इस बाइक की कीमत कम रखने के लिए इसमें कोई फैंसी पार्ट्स नहीं लगाये गए हैं लेकिन इसका मौजूदा सेट-अप अधिकतर राइडर्स की ज़रूरतें को पूरा करने के लिए काफी है. इन बाइक्स की चेसी भी नई है जिसके चलते 20 से 30 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार पर भी ये बाइक्स हल्की महसूस होतीं हैं. इसकी राइड क्वालिटी आलिशान नहीं तो आरामदायक तो है ही और ये उबड़-खाबड़ रास्तों को आराम से पार कर सकती है. हमने इन बाइक्स को तेज़ रफ़्तार पर कई टूटी-फूटी सड़कों पर चलाया लेकिन इसके मज़बूत चेसी के चलते हमारे आत्मविशवास में कहीं भी कोई कमी नहीं आई. लेकिन, गहरे गड्ढों पर सस्पेंशन पूरा-का पूरा दब जाता है, इसी तरह तेज़ी से मुड़ते हुए आपको बाइक को ज्यादा इनपुट भी देना पड़ता है. रोजाना की सवारी के लिए ये बाइक्स बेहद बढ़िया हैं. जो लोग छोटी 150-200 सीसी बाइक्स से इन बाइक्स पर आएँगे उन्हें इनको हैंडल करने में कोई परेशानी नहीं होगी.
अगर हम इनके ब्रेक्स की बात करें तो ये बहुत ही बढ़िया काम करतीं हैं. इस बाइक के टैंक को पेट्रोल से पूरा भरने के बाद, मेरा टैंक बैग, राइडिंग गियर, और मेरा वजन मिला कर इस बाइक का कुल वज़न लगभग 320 से 330 किलोग्राम होगा. और ऐसे में 100 किमी/घंटे से ऊपर की रफ़्तार पर भी इन बाइक्स में ब्रेक लगाने पर यह बिना किसी नाटक के बहुत तेज़ी से धीमी हो जाती है. ड्यूल चैनल ABS काफी काम आता है लेकिन जिस प्रकार से स्पीड कम होती है वो आपको काफी ज्यादा प्रभावित करती है. इसकी शुरुआती ब्रेकिंग में तीव्रता नहीं है लेकिन जब इसकी ज़रूरत होती है ये बहुत ही बढ़िया काम करता है. साथ ही ब्रेकिंग के दौरान निचले गियर पर जाने की वजह से भी मदद मिलती है, यहाँ पर स्लिपर क्लच काफी काम आता है. इस बाइक में इस फीचर की बहुत ज़रूरत थी और इस कीमत पर इनकी सराहना बनती है.
इन दोनों बाइक्स पर कुल मिला 250 किलोमीटर के सफर के बाद दिन के आखिर में मैं इनसे बेहद प्रभावित था. सच कहा जाए तो मैने ये कभी नहीं सोचा था कि Royal Enfield ये चमत्कार कर पाएगी. अच्छी लुक्स के सिवाए इन बाइक्स की राइड इतनी शानदार है कि इनको चलाने वाले के चेहरे पर मुस्कान आना लाज़मी है. और भीड़ की बीच से निकलने पर उनके चेहरों पर भी. इस बाइक की सबसे बड़ी ताकत इसमें लगा इंजन है और जो भी RE का मज़ाक “हाथी मत पालो” से उड़ाता था उसे आज निश्चित ही अपने शब्द वापस लेने पड़ेंगे. अगर मैं इस बाइक्स का ग्राहक होता और मुझसे इसकी कीमत का अंदाज़ा लगाने को कहा जाता तो मेरा अनुमान 3 लाख रूपए (एक्स-शोरूम) के आसपास होता. लेकिन RE ने दो कदम आगे बढ़ हम सब को चौंका दिया है. दिल्ली जैसे शहरों में इस बाइक की शुरुआती कीमत 2.5 लाख रूपए की है वहीँ केरल और कर्नाटक में यह बाइक्स इससे भी कम दाम पर उपलब्ध है. दूसरे शब्दों में इस बात को पक्का किया गया है कि Interceptor और GT, को किसी भी राज्य के ग्राहकों को तीन लाख रूपए से कम कीमत पर उपलब्ध कराया जाए.
ये बहुत कम ही देखा गया है कि किसी नई बाइक ने बाज़ार में प्रवेश करते ही पैकेज और कीमतों के मामले में पूरे सेगमेंट में उथल-पुथल मचा दी हो. Enfield को कभी भी कीमतों का सरताज नहीं माना जाता था. ये बात अलग है की आपको इस बाइक में एक बहुत ही औसत स्तर के LCD स्क्रीन मिल रही है और ट्यूबलेस टायर, USD फोर्क्स एवं टॉप स्पेक सस्पेंशन नहीं मिल रहे हैं. लेकिन इन बाइक्स की राइड बहुत ही सुखदायक है, और यहीं हम इनके दीवाने हो जाते हैं. शाबाश Royal Enfield, शाबाश!