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पुणे के लोग कर रहे हेल्मेट अनिवार्य करने के नियम का कड़ा विरोध, ये हैं उनके तर्क!

महाराष्ट्र के पुणे में एक अजीब घटना हो रही है. यहाँ के नागरिक हेल्मेट के इस्तेमाल को ज़रूरी बनाने वाले नए नियम के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं. पुणे के पुलिस कमिश्नर K Venkatesham द्वारा घोषित किया गया ये नियम जनवरी 1 2019 से लागू होगा. लेकिन, सरकारी कर्मचारियों को इस नियम का पालन आज से ही करना होगा.

पुणे के लोग कर रहे हेल्मेट अनिवार्य करने के नियम का कड़ा विरोध, ये हैं उनके तर्क!

पुणे को बिना हेल्मेट की राइडिंग के लिए जाना जाता है और यहाँ 211 लोग सड़क हादसे में मर चुके हैं, इससे मजबूर होकर नए कमिश्नर ने हेल्मेट को 1 जनवरी से अनिवार्य कर दिया है. ये पांचवी बार होगा की एक नया पुलिस कमिश्नर शहर में हेल्मेट को अनिवार्य बनाने के बारे में नियम लाएगा.

दुर्भाग्यवश, इसके पहले होने वाले हर प्रयास की तरह पुणे के नागरिक इस नियम का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने साथ मिलकर Anti-Helmet Compulsion Action Committee (AHCAC) नाम का एक ग्रुप बनाया है. इसके मेम्बर में कार्यकर्ता, नेता, उद्योगपति, NGO और कई लोग शामिल हैं. इन लोगों ने हेल्मेट ना पहनने के कई हास्यास्पद बहाने बनाये हैं, और Pune Mirror ने इन्हें प्रकाशित किया है.

AHCAC के मेम्बर और NCP के नेता Ankush Kakade ने हेल्मेट के उनके विरोध के लिए शहर के धीमे स्पीड लिमिट का हवाला दिया. Kakade ने कहा,

हम हेल्मेट को अनिवार्य बनाने का कड़ा विरोध करते हैं. ये राइडर्स के लिए बड़ी दिक्कतें पैदा करेगा. अगर शहर में स्पीड लिमिट 20-25 किमी/घंटे से ज्यादा नहीं है तो हेल्मेट की क्या ज़रुरत है? हम पहले कमिश्नर से इस नियम को वापस लेने की गुजारिश करेंगे, गर वो सहमत नहीं हुए तो हम लोकतांत्रिक तरीकों से बाकी रास्ते अपनाएंगे.

वो गलत हैं, कम स्पीड पर हुए एक्सीडेंट में गिरने से भी सिर पर चोट आने से बड़ी दिक्कतें आ सकती हैं. लोग शहर में कुछ जगहों पर 4-5 किमी/घंटे की रफ़्तार पर भी चलते हैं, लेकिन ऐसी भी जगहें होती हैं जहां लोग कम दूरी के लिए ही सही पर तेज़ बेहद रफ़्तार पर चलते हैं.

RTI कार्यकर्ता और Sajag Nagarik Manch के मुखिया Vivek Velankar ने कहा

“प्रशासन शहर के 24 लाख 2-व्हीलर इस्तेमाल करने वालों के लिए पर्याप्त हेल्मेट उपलब्ध नहीं कर पायी, एवं उन्हें पहले शहर की आम ट्रैफिक की दिक्कतों को दूर करना चाहिए. Velankar के मुताबिक़, प्रशासन को हेल्मेट को अनिवार्य करने से पहले शहर की संकरी एवं भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर ध्यान देना चाहिए.”

ये भी हेल्मेट के नियम को सदा के लिए टालने का एक बेहतरीन बहाना है क्योंकि हम सभी को पता है ट्रैफिक और गड्ढे जैसी दिक्कतों को हर किसी की संतुष्टि के हिसाब से दूर कर पाना इतना आसान काम नहीं. इस तर्क को मानने पर पुणे में एक लम्बे समय तक बिना हेल्मेट के राइडर्स नज़र आयेंगे.

Creative Foundation के Sandeep Khardekar ने कहा की यो हाईवे पर हेल्मेट के इस्तेमाल के खिलाफ नहीं हैं. उन्होंने ये भी कहा की हेल्मेट के वज़न के चलते spondylitis जैसी बीमारी से गुज़र रहे लोग 2-व्हीलर नहीं चला पाते. उन्होंने ये भी कहा की हेल्मेट पहनने पर राइडर की सुनने की क्षमता भी कम हो जाती है.

ये तर्क भी गलत है क्योंकि हेल्मेट पहनने से spondylitis के बढ़ जाने जैसी कोई वारदात सामने नहीं आई है. ये एक और तरीका है जिससे बिना किसी आधार पर हेल्मेट वाला नियम टाला जा सके.

उद्योगपति एवं Mere Apane नाम के NGO के संस्थापक Balasaheb Runwal ने दावा किया की हेल्मेट अनिवार्य कर ‘वर्दीधारी आम जनता को बंधक बना रहा था.’ Runwal चाहते हैं की नियम लागू करने से पहले पुलिस को एक उदाहरण पेश करना चाहिए, उन्होंने कहा,

वर्दीधारी असल में ताज़ा हेल्मेट अनिवार्य करने के मुहीम के साथ आम जनता को बंधक बना रहा है. सबसे पहले, पुलिस और उनकी बाइक्स पर सवार लोगों को हेल्मेट इस्तेमाल करना शुरू कर देना चाहिए, उसके बाद नागरिकों पर ये नियम लागू किया जाना चहिये.”

ये एक ऐसा तर्क है जो दोस्तों के बीच काम करता है, असल ज़िन्दगी का न्यायपालिका में ऐसे तर्कों की कोई जगह नहीं.

वहीँ दूसरी और पुणे के पुलिस कमिश्नर Venkatesham पुणे के राइडर्स के लिए एक सुरक्षित शहर चाहते हैं. उन्होंने Pune Mirror से कहा,

अब तक, इस साल जानलेवा रोड एक्सीडेंट में 211 लोग मर चुके हैं. हमें हेल्मेट ना होने के चलते जान गंवाने वाले लोगों के बारे में सोचना चाहिए. हालात को बदलना ज़रूरी है. हम नागरिकों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहते हैं. हम नियम को सिर्फ इसलिए लागू कर रहे हैं क्योंकि सुरक्षित राइडिंग ही हमारा मकसद है. हम इस नियम का विरोध कर रहे लोगों की सोच बदलने की कोशिश करेंगे. हम अगले कुछ दिनों में जागरूकता पर ध्यान देंगे.