कैसा हो अगर हम आपसे कहें कि आप घर पर ही असेम्बल कर सकते हैं एक रफ-एंड-टफ पिक-अप ट्रक और वो भी बिना किसी ख़ास उपकरण के! आपका ये ट्रक सड़क ही नहीं पथरीले और खतरनाक रास्तों पर भी काफी आरामदायक होगा. मिलिए OX के ‘फ्लैट-पैक’ पिक-अप ट्रक से जो इस साल के अंत तक भारत में लांच होगा. तो कौन है इस अजूबे का आविष्कारक? वो व्यक्ति हैं प्रोफेसर गोर्डन मरे, एक F1 इंजिनियर जो इससे पहले में Mclaren F1 hypercar भी डिजाईन कर चुके हैं. Mclaren F1 की डिजाईन की कुछ झलकें आपको OX ‘फ्लैट-पैक’ पिक-अप ट्रक में भी नज़र आएँगी. वापस आयेंगे इस पर कुछ देर में.
पहली बात, फ्लैट-पैक पिकअप ट्रक होता क्या है?
आम तौर पर फ़्लैट-पैक होता है एक ऐसा प्रोडक्ट जिसे एक फ़्लैट बॉक्स में शिप किया जा सके, कुछ कुछ फर्नीचर की तरह. OX है एक फ़्लैट-पैक पिकअप ट्रक क्योंकि इसे एक फ्लैट बॉक्स या शिपिंग कंटेनर में रिमोट लोकेशंस तक ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है. एक बार डेस्टिनेशन पर पहुँचने के बाद इसे एक फुली फंक्शनल OX पिकअप ट्रक में असेम्बल किया जा सकता है जिसमें है एक 2.2 लीटर Ford सोर्स्ड टर्बोडीज़ल इंजन जो प्रोड्यूस करता है 98 बीएचपी. इस ट्रक को पूरी तरह से असेम्बल करने के लिए 3 ट्रेन्ड (पर एक्सपर्ट ज़रूरी नहीं) असेम्ब्लर्स को 12 घंटे लगते हैं. यानी, कामचलाऊ मैकेनिकल असेम्बली स्किल्स के साथ कोई भी इस पिकअप ट्रक को असेम्बल कर सकता है.
लेकिन OX को डेवेलप ही क्यों किया गया था?
अफ्रीका, साउथ अमेरिका, और एशिया के कई विकासशील देशों में ज़रुरत थी सस्ती, मज़बूत गाड़ियों की जिन्हें आसानी से असेम्बल और रिपेयर किया जा सके. सर टोर्किल नॉर्मन ने स्थापित किया ग्लोबल व्हीकल ट्रस्ट (GVT) फाउंडेशन, विकासशील दुनिया के लिए मज़बूत और किफायती गाड़ियाँ बनाने के लिए जो लोगों और सामान दोनों को ट्रांसपोर्ट कर सकें.
उन्होंने साथ लिया गोर्डन मरे को, ऐसी गाड़ी डिजाईन और मैन्युफैक्चर करने के लिए. और इस तरह जन्म हुआ OX का, जिसे अब 2 सालों तक काफी टेस्ट किया जा चुका है. कमर्शियल लॉन्च के लिए ये ट्रक लगभग तैयार है और इंडियन मार्केट होगा इस पिकअप ट्रक को पाने वालों में से पहला.
Shell – जी हाँ, वही कंपनी जो इंडिया में फ्यूल और लुब्रिकेंट बेचती है, लेकर आएगी इंडिया में OX. Shell ने पार्टनर किया है Gordon Murray Design के साथ, जो गाड़ी को मैन्युफैक्चर कर के फ़्लैट-पैक्स में इंडिया में शिप करेगी. ट्रक को फिर इंडिया के अलग अलग हिस्सों में असेम्बल कर के Shell के देश भर में कई आउट-रीच प्रोग्राम्स में ले जाया जायेगा.
तो और बताइए हमें OX के बारे में!
अब इसे डिजाईन किया है प्रोफेसर गोर्डन मरे ने तो इसे शानदार तो होना ही था. और ये वाकई है शानदार. इसमें ड्राईवर बैठता है केबिन के बीचों-बीच और उसके दोनों तरफ दो और सीट्स हैं. क्या ये McLaren F1 से इंस्पायर्ड है? बिलकुल! जहाँ केबिन में आराम से 3 एडल्ट्स बैठ सकते हैं, फ्लैटबेड पर 11 और लोग अकोमोडेट हो सकते हैं. OX का वज़न करीब 1,600 किलो है और ये उठा सकता है 1.9 टन (जी हाँ!! सही सुना आपने) का पेलोड. लोग या उत्पाद? आप तय कर सकते हैं की आपको क्या ले जाना है. इतना फ्लेक्सिबल है ये OX.
प्रोफेसर मरे ने गाड़ी का वज़न प्लाईवुड कंपोजिट बॉडी का इस्तेमाल कर के कम रखा है. ये बनाता है OX को इंडियन सड़कों पर ही देखे जाने वाले ट्रकों जैसा, जिनमें होती है एक मज़बूत लैडर शैसी एक स्टील-वुड बॉडी के साथ. OX है फ्रंट-व्हील ड्रिवेन और इन गाड़ियों का डिजाईन सुनिश्चित करता है की पावर्ड व्हील्स पर लोड हो, जो की ट्रैक्शन इम्प्रूव करता है.
प्रोफेसर मरे का मानना है की ये लेआउट पर्याप्त है OX के ज़्यादातर टेरेन पर इस्तेमाल हो पाने के लिए (कम्पिटिटिव ऑफ-रोडिंग के इलावा, और इसके लिए तो इसे डिजाईन भी नहीं किया गया है). और अगर ये ट्रक कहीं फँस भी जाये तो रियर बेंच सीट बेसेज़ को हटा कर सैंड लैडर की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. है न कमाल? OX ऑल-राउंड कॉइल स्प्रिंग सस्पेंशन इस्तेमाल करता है जिसे इंटरचेंज भी किया जा सकता है. टेलगेट को भी रिमूव कर के लोडिंग रैम्प की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. बताया जा रहा है की OX की टैंक रेंज है 1,200 km और इसकी वाटर वेडिंग डेप्थ है 1 मीटर की. और हम क्या ही कहें.