Maruti Suzuki और Toyota ने भारत में साझेदारी करने का फैसला किया है | भारत के छोटी-कार सेगमेंट में अग्राणी कंपनी को इलेक्ट्रिक व्हीकल तकनीक में दुनिया के सबसे बड़ी कार निर्माता से मदद मिलेगी | बदले में Maruti Suzuki भारत में Toyota के लिए इलेक्ट्रिक कार बनायेगी | उम्मीद की जा रही है कि Toyota ये गाड़ियाँ अपने शोरूम्स से बेचेगी |
Maruti भी इन इलेक्ट्रिक कार्स का निर्माण करने के बाद इन्हें ब्रांड करेगी और अपनी डीलरशिप्स के ज़रिये इन्हें बेचेगी | Maruti और Toyota एक साथ मिल के चार्जिंग स्टेशन लगायेंगे, इलेक्ट्रिक कार की हैंडलिंग के लिए सर्विस कर्मचारियों को ट्रेनिंग देंगी, और इस्तेमाल हो चुकी बैटरियों के सुरक्षित डिस्पोजल का भी ध्यान रखेंगी | इसके लिए दोनों कंपनियों ने एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (ऍमओयु) भी तय कर लिया है |
ऐसे संकेत हैं कि Toyota इलेक्ट्रिक कार्स में अधिक निवेश करेगी और खुद को ह्य्ब्रिड्स, जिनमें वो अभी दुनिया में अग्रिणी है, तक सीमित नहीं रखेगी | भारत में Maruti की तुलना में Toyota का मार्किट शेयर काफी कम है | Rs 10,00,000 से कम के बजट सेगमेंट में वो एक बड़ी प्लेयर नहीं है | Maruti के साथ इलेक्ट्रिक कार्स के लिए साझेदारी के बाद हो सकता है Toyota आखिरकार भारत के बजट कार सेगेमेंट में अपनी बड़ी छाप छोड़ सके |
Maruti की पेरेंट कंपनी Suzuki ने पहले ही Toyota की मिलकियत वाली पार्ट्स बनाने वाली कंपनी Denso से साझेदारी कर गुजरात में लिथियम–आयन बैटरी बनाने के लिए संयंत्र लगा लिया है | उम्मीद की जा रही है कि Maruti इलेक्ट्रिक कार्स का निर्माण गुजरात में साणंद में लगे संयंत्र में बनाएगी | ये एक नया संयंत्र है जो कि Maruti ने हाल ही में लगाया है | साणंद संयंत्र में देशी और विदेशी दोनों बाज़ारों के लिए कार्स बनती हैं |
Ford ने भी Mahindra के साथ ऐसी ही साझेदारी की है जिसमें Ford कार प्लेटफार्म Mahindra को उपलब्ध कराएगी | Mahindra इस प्लेटफार्म से इलेक्ट्रिक कार बनाएगी और भारत में इन कार्स का निर्माण करेगी | उम्मीद की जा रही है कि ये कारें (Figo और Aspire के इलेक्ट्रिक वैरिएंट) Ford और Mahindra के नाम के अंतर्गत बेची जाएँगी | भविष्य में ऐसी साझेदारियाँ और देखने को मिल सकती हैं क्योंकि भारत सरकार चाहती है कि 2030 तक भारत में बिकने वाली सभी गाड़ियाँ बैटरी चालित हों |