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Maruti Suzuki Swift के बारे में 10 चीज़ें जो आप नहीं जानते

Maruti Swift इंडिया के सबसे पॉपुलर कार्स में से एक है. Maruti ने हाल ही में इसका थर्ड जनरेशन मॉडल लॉन्च किया है और जल्द ही ये भी बेस्ट-सेलर बनने वाली है. तो क्या हैं Maruti Suzuki Swift के बारे में ऐसी बातें जो सभी नहीं? आइये देखते हैं.

GM द्वारा बनायी गयी Suzuki ने खरीदी

Maruti Suzuki Swift के बारे में 10 चीज़ें जो आप नहीं जानते

Swift के फर्स्ट जनरेशन को M-car के नाम से जाना जाता था और ये GM द्वारा विकसित की जा रही रही. इस अमेरिकन कंपनी ने कहा की ये फायदेमंद प्रोजेक्ट नहीं होगा और इस आधे प्रोजेक्ट को उसने Suzuki को कंपनी में 5% हिस्सेदारी के बदले में बेच दिया. Suzuki ने बाद में गाड़ी का डिजाईन और विकास पूरा किया और फिर इसे जापान के बाज़ार में लॉन्च किया.

35 साल पुरानी Swift इंडिया में सिर्फ 13 साल पहले आई थी

इस गाड़ी का फर्स्ट जनरेशन जापान में October 1983 में लॉन्च हुआ था लेकिन ये इंडिया में 2005 में आई. तकनीकी तौर पर Maruti 1000 रीबैज की हुई Cultus थी और ये इंडिया में 1990 में आई, Swift के आने के लगभग 15 साल पहले.

इसके जापान में लॉन्च होने के बाद ही Suzuki ने इस गाड़ी के फर्स्ट जनरेशन को दुनिया भर में एक्सपोर्ट करना शुरू कर दिया और ये कई देशों में GM के ब्रांड नेम के अन्दर बेची गयी. ये कार कई कम्पनियों के नाम के तहत बेची गयी, Chevrolet, Holden, Pontiac और यहाँ तक की Isuzu भी.

हाँ…इसे Ignisके नाम से भी जाना जाता है!

यूरोप के बाज़ार में Suzuki Swift का पहला जनरेशन Ignis के नाम से गयी थी. market. Suzuki ने जनसँख्या को देखते हुए गाड़ी का नाम बदला था. USA और Canda में इसे Aerio और Pakistan में इसे Celerio के नाम से बेचा जाता था. जापान के अपने बाज़ार में इसे Cultus Crescent का नाम दिया गया था.

Esteem याद है? उसे Swift के नाम पर बेचा जाता था

Maruti Suzuki Swift के बारे में 10 चीज़ें जो आप नहीं जानते

निर्माता अपने सहूलियत के हिसाब से कई नाम इस्तेमाल करते हैं. वो कार जो इंडिया में Esteem के नाम से बेची गयी थी उसे Chevrolet ने रीबैज कर के कई देशों में Swift के नाम से बेचा था. यहाँ तक की Suzuki ने भी इसे Swift के नाम से रीबैज कर के कई देशों में बेचा था.

एक दशक से इंडिया के टॉप 5 सेलिंग कार्स में से एक

Maruti Suzuki Swift के बारे में 10 चीज़ें जो आप नहीं जानते

Maruti Suzuki ने 2005 के बाद से इंडिया में 18 लाख Swift बेचीं हैं. जब ये 2005 में लॉन्च हुई थी, बाज़ार में इसके बस 3 प्रतिद्वंदी थे. लेकिन 13 साल बाद Maruti के आंकड़ों के मुताबिक़ इसके 10 प्रतिद्वंदी हैं और Swift अभी भी टॉप-सेलिंग स्पॉट पर काबिज है.

Hayabusa से प्रेरित

Maruti Suzuki Swift के बारे में 10 चीज़ें जो आप नहीं जानते

Maruti Swift का इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर Suzuki Hayabusa के कंसोल से प्रेरित था. टैकोमीटर का 6’O क्लॉक पोजीशन, इसका फॉण्ट और लेआउट Suzuki के फ्लैगशिप मोटरसाइकिल से काफी ज्यादा मिलते जुलते थे. flagship motorcycle. It is not the case with the all-new Swift as it gets an LCD screen between the dials.

इसका एक इलेक्ट्रिक संस्करण भी था

Maruti Suzuki Swift के बारे में 10 चीज़ें जो आप नहीं जानते

Suzuki ने Swift के कई हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कांसेप्ट मॉडल डिस्प्ले किये थे. एक फेमस मॉडल 2009 Tokyo Motor Show में डिस्प्ले किया गया था जिसे बाद में मॉडिफाई कर एक दुबारा 2011 Tokyo show में प्रस्तुत किया गया था. ये कार एक EV हाइब्रिड थी जिसमें एक 660 सीसी पेट्रोल इंजन लगा था. इसमें एक 54 kW इलेक्ट्रिक मोटर था और जब भी बैटरी बहुत लो हो जाती, पेट्रोल इंजन इसे चार्ज कर देता था. अफ़सोस की ये कभी प्रोडक्शन में नहीं जा पाई.

140 से ज्यादा देशों में बिकने वाली

Suzuki Swift फिलहाल दुनिया के 140 से ज्यादा देशों में बिकती है. ये इंडिया को मिलाकर 7 देशों में बनायीं जाती है. ये दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाली कार्स में से एक है. Swift का सबसे मजबूत मार्केट इंडिया है. दुनिया भर में Swift के 5 बिलियन यूनिट्स बाइक हैं और इनमें से इंडिया में ही 1.8 बिलियन यूनिट्स हैं.

इंडिया मार्केट में आने के बाद डीजल की ज़रुरत पड़ी

Swift के आगमन ने मार्केट में कोई हलचल पैदा नहीं की और मार्केट का रिस्पांस काफी नर्म था. लॉन्च के 2 साल बाद 2007 में Maruti ने इसका डीजल इंजन उतारा. Fiat से लिए गए इस इंजन ने गाड़ी की सेल्स बाधा डी और ये काफी जल्दी पॉपुलर हो गयी.

इंडिया के Swift में ज्यादा जगह है

Maruti Suzuki Swift के बारे में 10 चीज़ें जो आप नहीं जानते

जब Swift इंडिया में पहली बार आई, Maruti के 25 इंजिनियरों की टीम ने इसपर गहन कम किया. ग्लोबल वर्शन के मुकाबले इंडिया के स्पेक वाली कार में ज्यादा जगह है. इंडिया के मॉडल में करटेन एयरबैग न होने के चलते इंजिनियर ज्यादा हेडरूम ला पाए. सीट और कुशन को रीडिजाईन किया गया ताकि ज्यादा जगह हो सके.