दक्षिण भारतीय राज्य केरल भारी बारिश के चलते शताब्दी के सबसे बुरे बाढ़ से जूझ रहा है. अब MoneyControl में एक रिपोर्ट आई है की इस बाढ़ ने डीलर्स द्वारा ओनम के लिए स्टॉक किये गए 1,000 करोड़ कीमत की गाड़ियों को तबाह कर दिया है. इस दौरान राज्य में कार्स की बिक्री आमतौर पर बढ़ जाती है.
373 लोगों की जान ले चुके और हज़ारों से बेघर कर चुके बाढ़ से ग्रस्त इलाकों में लगभग एक हफ्ते तक शोरूम्स पर कोई नहीं गया. राज्य सरकार ने बाढ़ में लगभग 20,000 करोड़ रूपए के नुक्सान होने का अनुमान लगाया है.
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देश के दक्षिणी इलाके में 6 राज्यों में केरल कार्स का सबसे बड़ा मार्केट है और ये राज्य दक्षिण भारत में कार के एक-चौथाई बिक्री के लिए जिम्मेवार है. बाढ़ में 350 डीलरशिप्स पर राखी गयीं लगभग 17,500 कार्स के क्षतिग्रस्त होने का अनुमान है. केरल में बेची गयी एक कार के औसत कीमत को 6 लाख रूपए मानते हुए राज्य भर के डीलर्स को कार निर्मातों को एक लम्बा-चौड़ा बिल चुकाना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि लम्बे समय तक पानी में डूबी रहीं कार्स के कम वैल्यू होने के कारण उन्हें आमतौर पर स्क्रैप कर दिया जाता है. लेकिन, कार निर्माता डीलर्स को उनके नुक्सान के लिए मुआवज़ा देकर उनकी मदद कर सकते हैं.
ऐसा नहीं है की सिर्फ कार डीलर्स को ही बाढ़ के चलते नुक्सान सहना पड़ा है. केरल में लगभग 700 डीलरशिप्स हैं, स्कूटर्स से लेकर ट्रक और ट्रेक्टर तक बेचने वाले इन डीलर्स को भी भारी नुक्सान उठाना पड़ा है.
बाढ़ के चलते आने वाले दो या तीन महीनों में कार्स और बाकी गाड़ियों की सेल्स भी कम होगी क्योंकि लोग बाढ़ के बाद तबाह हुई अपनी ज़िन्दगी संवारने को ज़्यादा आतुर होंगे. इस त्रासदी के पहले, केरल ऑटोमोटिव सेल्स में बेहद तेज़ी से बढ़ रहा था और राज्य की वित्तीय राजधानी लक्ज़री कार निर्माताओं के लिए एक बड़ा मार्केट बन रही थी.
बाढ़ के बाद अब केरल आखिरकार अपने पैरों पर खड़ा होने लगा है लेकिन अभी भी सभी चीज़ों के सामान्य होने में बहुत काम की ज़रुरत है. इसी बीच कार डीलरशिप्स जैसे कारोबार को लाबा रास्ता तय करना बाकी है क्योंकि वो बाढ़ से हुए नुक्सान की भरपाई के लिए बीमा कंपनियों का रुख करेंगे. Federation के एक एग्जीक्यूटिव ने MoneyControl को बताया की फिलहाल Federation of Automobile Dealer Association डीलर्स को अपने बीमा क्लेम फाइल करने में मदद कर रहे हैं और बीमाकर्ताओं से गुजारिश कर रहे हैं की वो कम से कम बीमा राशि का 75% रिलीज़ कर दे.