कर्णाटक हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया है की टू-व्हीलर राइडर्स को उनके बीमा के पैसे तभी मिलेंगे अगर वो ISI प्रमाणित हेलमेट पहनें. जस्टिस L. Narayanaswamy ने इस केस में आर्डर पास किया जहां एक बीमा कंपनी ने एक टू-व्हीलर राइडर को बीमा के पैसे नहीं देने के लिए याचिका दायर की थी.
इस फैसले के इंडिया में रोड सेफ्टी के लिए दूरगामी परिणाम हो सकते हैं क्योंकि ऐसे टू-व्हीलर राइडर जो ISI हेलमेट न पहनें हों उन्हें बीमा कम्पनियां बीमा के पैसे देने से इनकार कर सकती हैं. इंडिया में बिना ISI के प्रमाण वाला हेलमेट पहनना गैरकानूनी काम है.
हाई कोर्ट के आर्डर ने मोटरसाइकिल मालिकों को Karnataka Motor Vehicles Rules का नियम 230 मानने को कहा है, उसमें कहा गया है की हेलमेट के ऊपर ISI नंबर (IS 4151:1993) लिखा हुआ होना चाहिए. ये नियम ये भी कहता है की हेलमेट पर निर्माता का नाम, निर्माण का साल, और साइज़ आसानी से पढ़े जा सकने वाले शब्दों में लिखा होना चाहिए. ये पहली बार है जब कोर्ट ने टू-व्हीलर चलाने वालों द्वारा पहने जाने वाले हेलमेट की क्वालिटी के ऊपर कोई कदम उठाया है. उम्मीद है देश भर की कानूनी एजेंसियां जल्द ही इस नियम को सख्ती से लागू करना शुरू कर देंगी.
हेलमेट न इस्तेमाल करने वालों को पुलिस रोक कर जुर्माना कर सकती है. दरअसल ऐसे मुहीम कर्नाटक में बैंगलोर और मैसूर जैसे के बड़े शहर में शुरू भी हो चुके हैं. गैर ISI प्रमाणित हेलमेट पहनने वाले टू-व्हीलर राइडर्स को फाइन करने के अलावे पुलिस अधिकारी ये हेलमेट ज़ब्त भी कर रहे हैं और उन्हें नष्ट कर रहे हैं. वो बिना ISI के प्रमाण वाले हेलमेट बेचने वालों के खिलाफ मुहीम भी छेड़ रहे हैं.
बिना ISI प्रमाण वाले लोकल हेलमेट पहनना कई सारे जोखिमों से भरा होता है. हो सकता है ये हेलमेट क्रैश के दौरान टक्कर के आघात को सह ना पाए, और इसलिए एक्सीडेंट के दौरान राइडर का सर बचाने में ये किसी काम की नहीं रह जातीं. हो सकता है क्रैश के दौरान गैर ISI हेलमेट के बकल भी धोखा दे जाएँ. इन्ही सब बातों के चलते ISI प्रमाणित हेलमेट पहनना ज़रूरी होता है.