सुपरबाइक्स कई ऑटोमोटिव शौकीनों के दिलों और बेडरूम की दीवारों पर राज करती हैं. लेकिन हर कोई इतनी महंगी गाड़ी नहीं खरीद सकता. फिर कुछ ऐसे शौक़ीन भी हैं जो एक कदम आगे बढ़ कर ‘होम-मेड’ सुपरबाइक्स बनाते हैं जिनमे कार का इंजन लगा होता है. कुछ तो कला को उसके चरम पर ले जाते हैं और बिना हब वाली बाइक्स बना लेते हैं.
Trailblazer
ये मोटरसाइकिल पुणे की है और इसे नितेश सरोदे ने बनाया है. इसे देख कर ऐसा लगता है मानो ये एक पहियों वाला ड्रैगन हो. इस मोटरसाइकिल के 99% पार्ट्स हाथ से बनाये गए हैं. आगे के शॉक अब्ज़ॉरबर्स KTM Duke से लिए गए हैं वहीँ ब्रेक्स बजाज पल्सर से लिए गए हैं. Trailblazer में Maruti 800 का इंजन लगा है.
शैसे को इसी मकसद से बनाया गया है, और इंजन को समानांतर रखा गया है. फाइनल ड्राइव शाफ़्ट के ज़रिये होता है, इससे ये सुनिश्चित किया जाता है की कम से कम पॉवर की बर्बाद हो. पीछे का चक्का एक कार से लिया गया है.
मोटरसाइकिल पे लगा डिस्प्ले कंसोल Maruti 800 का ही है. वहीं गियरबॉक्स भी उसी कार से लिया गया है. पीछे का फेंडर फ्यूल टैंक का भी काम करता है. इसकी लोकेशन थोड़ी अजीब इसलिए है ताकि इंजन से निकलने वाली गर्मी से फ्यूल टैंक को बचाया जा सके. इस मोटरसाइकिल के बनने में करीब 5 महीने का समय लगा. इंजन 45 बीएचपी उत्पन्न करता है और बिना फ्यूल के गाड़ी का वज़न 350 किलो है.
Ridd
Ridd एक कस्टम, कार के इंजन वाली सुपरबाइक है जिसे गुजरात के राजकोट के एक युवक ने बनाया है. इस मोटरसाइकिल के निर्माता रिद्धेश व्यास ने इसे बनाने में 8 साल का समय लगाया. इसमें Maruti 1000 का 1000सीसी का इंजन लगा है. और इसमें हाथ से बनाये हुए बहुत सारे कस्टम पार्ट इस्तेमाल किये गए हैं. आगे के फोर्क्स बाहर की और निकले हुए हैं और मोटरसाइकिल 9 फीट ऊंची है.
इस मोटरसाइकिल का वज़न 400 किलो है. Ridd में हाइड्रोलिक क्लच, सिंगल-साइडेड स्विंग आर्म और स्विंग आर्म इंटीग्रेटेड सस्पेंशन लगा है. ये लगभग 170 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार तक पहुँच सकता है. Ridd ने भारत के पहले हैण्डमेड सुपरबाइक होने के नाते लिम्का बुक ऑफ़ अवार्ड्स का खिताब भी जीता है.
Gypsy Superbike
ये भारत में हाथ से बनी पहली सुपरबाइक्स में से एक थी. इस प्रोजेक्ट पे काम पंजाब के चंडीगढ़ के रहने वाले जीवनजीत सिंह ने शुरू किया था. इसपे काम एक कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए शुरू हुआ था.
इस मोटरसाइकिल में Maruti Gypsy का 1.3 लीटर MPFI इंजन लगा है. वहीं इसमें RD 350 का काफी मॉडिफाइड गियरबॉक्स लगा है. इस मोटरसाइकिल का फ्रेम बहुत सारे आधुनिक मोटरसाइकिल्स के जैसे Trellis फ्रेम से प्रेरित था. इस बाइक के सिंगल-साइडेड स्विन्गार्म में Tata Safari का टायर लगा है. इसका वज़न 300 किलो है और ये 160 किलोमटर प्रति घंटे की रफ़्तार पा सकती है.
Steel Rhino
देहरादून के Custom House ने Steel Rhino के मॉडिफिकेशन का काम किया है. मोटरसाइकिल में Yamaha RD 350 का शैसे लगा है. इसका फ्यूल टैंक हाथ से बना है और उसे काफी खूबसूरती से आकार दिया गया है. इसमें Maruti 800 का इंजन और Yamaha RD 350 का गियरबॉक्स लगा है.
और एक्स्ट्रा वज़न को संभालने के लिए, मोटरसाइकिल में क्वाड फ्रंट शॉक अब्ज़ॉरबर्स लगे हैं. इसमें आगे की ओर 15-इंच और पीछे की ओर 17-इंच के टायर्स लगे हैं. टेस्ट्स के अनुसार इस मोटरसाइकिल की अधिकतम रफ़्तार 185 किलोमीटर प्रति घंटा है. इस पूरे मॉडिफिकेशन में लगभग 4 लाख रूपए खर्च हुए थे.
Royal Enfield Interceptor
Royal Enfield Interceptor अपने ज़माने में काफी प्रसिद्ध मोटरसाइकिल हुआ करती थी. इसका मॉडिफिकेशन Interceptor से प्रेरित है लेकिन इसमें MARUTI 800 का इंजन लगा है. इस मोटरसाइकिल में कुछ ख़ास मॉडिफिकेशन नहीं किया गया है लेकिन एक चमकदार केस में नया इंजन डोर से ही नज़र आ जाता है. और ओरिजिनल इंजन के जगह पे रेडियेटर भी लगा दिया गया है.
Hubless Bikes
राजस्थान के जयपुर के कुछ शौकीनों ने किफायती Hubless टायर्स का आईडिया इजाद किया. ये देसी संस्करण काफी अच्छा दिखता है, और मॉडिफिकेशन का खर्च अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में मिलने वाले किट्स से काफी कम है. ‘Freedom Spirits’ नाम के इस ग्रुप ने इस मोटरसाइकिल को हकीकत का रूप दिया.
अभिषेक शर्मा, मोहम्मद अंसार, सर्वेश खेमका, यशोदीप यादव और अंकुर तिवारी वो पाँच नौजवान हैं जिन्होंने इस प्रोजेक्ट पे काम किया है. इस मोटरसाइकिल का नाम Gennext wheel है, और इस टीम ने इसे बाइकर इवेंट — इंडिया बाइक वीक — के लिए तैयार किया. इस मोटरसाइकिल को इंडिया बाइक वीक के 2014 के गोवा में हुए संस्करण में प्रस्तुत किया गया था.
कैसे काम करते हैं हब्लेस व्हील्स?
हब्लेस व्हील्स गाड़ी के नॉन-रोटेटिंग इनर रिंग — जो की मोटरसाइकिल् के स्विन्गार्म या फोर्क पे लगी होती है — के बाहर की तरफ सारे घूमने वाले पार्ट (ब्रेक रिंग, बियरिंग्स, हब्लेस रिम्स) फिक्स कर देते हैं. ये एक विडियो है जिसमे समझाया गया है की ये पार्ट्स कैसे काम करते हैं.
ये मॉडिफिकेशन Royal Enfield Lightning 535 पे की गयी है, लेकिन इसका फाइनल फॉर्म बिलकुल भी Royal Enfield जैसा नहीं लगता. बाइक में काफी सारे मॉडिफिकेशन किये गए हैं. सारे बॉडी पैनल्स बदल दिए गए हैं. पीछे की हब्लेस किट के साथ ये मोटरसाइकिल 9 मीटर से ज्यादा लम्बी है.
मौडर्स के अनुसार हब्लेस रियर व्हील गाड़ी के वजन को काफी कम कर देती है इसलिए फ्यूल की खपत कम होती है. इतने बड़े मोटरसाइकिल इवेंट में सेलेक्ट होने से पहले इस बाइक को लम्बे रुट्स पे टेस्ट किया गया था.
क्या भारत में और भी ऐसी बाइक्स हैं?
हब्लेस मोटरसाइकिल्स को अच्छे से काम करने के लिए बड़ी अचूकता की ज़रुरत होती है. इंडिया में दो और ऐसी मोटरसाइकिल्स हैं जिन्हें हब्लेस बाइक्स में कन्वर्ट किया गया है.
Bajaj Pulsar 220
इस बजाज पल्सर को फ्रंट हब्लेस व्हील देने के लिए मॉडिफाई किया गया है. इस प्रोजेक्ट में एक्सपोज्ड शैसे के साथ ही गाड़ी को एक मिनिमालिस्टिक लुक दिया गया है. इसका इंजन एक 2-स्ट्रोक इंजन के जैसा लगता है और इसमें एक्सपेंशन चैम्बर एग्जॉस्ट सिस्टम भी लगा है.
Rudrapur Engineering College
उज्जैन के एक कॉलेज के मैकेनिकल इंजिनियरों ने एक हब्लेस क्रूजर बाइक बनायी है. इस मोटरसाइकिल के बारे में ख़ास बात ये है की इसमें आगे और पीछे दोनों ओर हब्लेस व्हील्स लगे हैं. स्टूडेंट्स ने इसे एक कॉलेज प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया था.