अगर आप इंडिया में रहते हैं और आपके पास एक कार या बाइक है, तो हो सकता है की आपके या आपके किसी दोस्त के साथ कम से कम एक बार पेट्रोल पंप पर धोखाधड़ी हो चुकी है. पेश हैं इंडिया के 5 सबसे कॉमन पेट्रोल पंप स्कैम.
ध्यान भटकाना
पेट्रोल पंप वर्कर्स के लिए सबसे पुरानी ट्रिक है ध्यान भटकाना. अगर आप दो फ्यूल अटेंडेंट को देख रहे हैं जिनमें से एक पेट्रोल भर रहा है, और एक पैसे ले रहा है, तुरंत चौकन्ने हो जाइए. आमतौर पर पैसे लेने वाला वर्कर आपका ध्यान भटकाने की कोशिश करेगा, और पेट्रोल भरने वाला आपके दिए गए पैसे से कम कीमत का पेट्रोल भरने की कोशिश करेगा.
और ये ऐसे होता है.
पहला अटेंडेंट पंप को जीरो पर रिसेट करेगा और आपसे पूछेगा की आपको कितने का फ्यूल लेना है. और जैसे ही वो फ्यूल भरने लगेगा, दूसरा आपको ब्लॉक करने की कोशिश करेगा, और आपको किसी फ़िज़ूल की बात में फंसाने की कोशिश करेगा. इसी बीच फ्यूल भरने वाला अटेंडेंट मीटर रिसेट कर देगा और आपको आगे बढ़ने का इशारा करेगा. इस तरीके से वो ये बात सुनिश्चित कर लेते हैं की आप ये न देख पाएं की आपके गाड़ी में आखिर कितने का फ्यूल भरा गया है.
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दूसरी आम ट्रिक ये है जिसमे फ्यूल अटेंडेंट इस बात का नाटक करता है की उसने आपकी बात नहीं सुनी. मान लीजिये आपने उसे 1000 रूपए का पेट्रोल डालने के लिए बोला, अब फ्यूल अटेंडेंट इस बात का नाटक करेगा की उसने 200 रूपए सुना है. और वो 200 पर रुक जाएगा, और 800 पर ऑटो-कट ऑफ सेट कर देगा. इस तरीके से आपके 1000 रूपए देने के बावजूद आपको सिर्फ 800 रूपए का फ्यूल ही मिलेगा.
इससे कैसे बचें?
हमेशा रीड-आउट स्लिप लें, इस स्लिप से ये पता चलता है की मशीन ने कितने का फ्यूल डिस्पेंस किया है. अधिकांश नए फ्यूल-पंप ये फैसिलिटी देते हैं. एक दूसरा तरीका है की आप फ्यूल लेने से पहले अपने कार से उतर जाएँ.
लम्बा फ्यूल डिस्पेंसर
साधारण से ज्यादा बड़े फ्यूल डिस्पेंसर काफी फ्यूल अपने अन्दर ही रख लेते हैं जिससे सारा फ्यूल आपके टैंक तक नहीं पहुँचता. अच्छी-ख़ासी मात्रा में फ्यूल हमेशा पाइप में बचा रह जाता है, और जब पाइप रोल किया जाता है, वो अन्दर वापस चला जाता है.
इससे कैसे बचें?
सबसे अच्छी बात होगी अगर आप ऐसे फ्यूल स्टेशन पे जाएँ ही ना. अगर आपके पास वहां जाने के अलावे कोई चारा नहीं है तो इस बात का ध्यान रखें की डिस्पेंस वापस लेने से पहले अटेंडेंट पूरा फ्यूल आपके टैंक में डाले.
मिलावट
मिलावट ऐसी चीज़ है जो इंडिया के काफी सारे फ्यूल स्टेशन में फ़ैल चुका है. कोई अचूक तरीका नहीं है जिससे आप मिलावट को आसानी से पकड़ लें, क्यूंकि मिलावट में काफी जटिल रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है ऐसे पेट्रोल पंप पे ना जाना. जानेमाने और विश्वशनीय पेट्रोल पम्प पर जाने की कोशिश किया करें. और तो और कम्पनी के अपने और उनके द्वारा चलाये जाने वाले पेट्रोल पंप पर जाने कोशिश करें.
फ्यूल पम्प के साथ छेड़-छाड़
इस स्कैम का हाल ही में उत्तर प्रदेश के बहुत सारे फ्यूल पम्प में पकड़ा गया था. इस स्कैम में पम्प के अन्दर लगी एक इलेक्ट्रॉनिक चिप पम्प के आउटपुट को लगभग 6 प्रतिशत कम कर देती है. और ये चिप एक फ्यूल अटेंडेंट थोड़ी दूरी से भी कण्ट्रोल कर सकता है. इसका मतलब की हर एक लीटर के लिए कस्टमर को सिर्फ 940 मिलीलीटर फ्यूल मिलता था. खबर है की जिस इंसान ने फ्यूल पम्प के मालिकों को ये चिप बेची उसने कुल 1,000 चिप बेचीं थी. इस स्कैम से बचने का एक ही तरीका है की आप जानेमाने पेट्रोल पम्प से ही फ्यूल खरीदें.
चालू और बंद ट्रिक
इस ट्रिक में फ्यूल अटेंडेंट आपके कार के फ्यूल फिलर नैक में नोजल को लॉक नहीं करता, बल्कि फ्यूल भरते वक़्त वो फ्यूल डिस्पेंसर को चालू और बंद करके बार बार फ्यूल फ्लो को डिस्टर्ब करता रहता है. जब ऐसा हो रहा होता है, एयर लॉक के चलते थोड़ा सा फ्यूल मशीन में बचा रह जाता है. इस प्रक्रिया में आप हर 10 लीटर के लिए लगभग 200 मिलीलीटर फ्यूल खो सकते हैं. इससे बचने का एक तरीका है की आप ये सुनिश्चित करें की अटेंडेंट फ्यूल फिलर नैक में नोजल को लॉक करे और जब तक ऑटो कट-ऑफ न हो, वो उसे हाथ न लगाये.