हाल में हुई दो घटनाएं कार के लिए बीमा खरीदने को थोड़ा जटिल बनाती हैं.
पहला, अगर आपने थर्ड पार्टी बीमा नहीं लिया है और दुर्घटना की सूरत में भरपाई में अक्षम हैं, प्रशासन आपकी कार को ज़ब्त कर नुक्सान की भरपाई कर सकता है.
दूसरा, सर्वोच्च न्यायालय ने अनिवार्य बीमा ज़रूरतों को 2 लाख रूपए से 15 लाख रूपए तक के लिए बढ़ा दिया है.
आपको अपनी कार से हाथ क्यों धोना पड़ सकता है
पहला कारण एक फैसले का नतीजा है, इन फैसले को ऐसे केस में सुनाया गया था जहां पीड़ित परिवार ने मृत इंसान के लिए बिना बीमा वाली गाड़ी से मुआवजा माँगा था. इसपर प्रतिक्रिया देते हुए Motor Vehicle Act Tribunal ने ये कहते हुए मुआवज़ा देने से मना किया था की गाड़ी का बीमा नहीं है.
इस फैसले में राज्यों को दिल्ली का उदाहरण पालन करने के लिए कहते हुए कहा गया की कोई भी कोर्ट दुर्घटना शामिल तीसरे पक्ष की संलिप्तता वाली किसी भी गाड़ी को तब तक नहीं छोड़ सकती जब तक पंजीकृत मालिक कोर्ट की संतुष्टि के मुताबिक़ उतनी राशी जमा नहीं करा देता जितनी दुर्घटना के मुआवज़े में चुकानी पड़े. आसान शब्दों में कहें तो जब तक गाड़ी का मालिक संभावित मुआवज़े की रकम के बराबर पैसे जमा नहीं करा देता, गाड़ी को नहीं छोड़ा जाएगा.
इसके आगे कोर्ट ने कहा, ऐसे मामलों में अगर मालिक गाड़ी के ज़ब्त होने के तीन महीने के भीतर उपर्युक्त बातों का पालन नहीं करता; तो दुर्घटना वाले अधिकार-क्षेत्र के मजिस्ट्रेट गाड़ी को जन-नीलामी में बेच इससे आये पैसे को अधिकार-क्षेत्र वाले Claims Tribunal में 15 दिनों के भीतर जमा कराएँगे ताकि दुर्घटना के मुआवज़े की भरपाई की जाए.
अगर मुआवज़े की रकम छोटी हो तो ये बातें कोई मायने नहीं रखतीं, और अब तक ऐसा ही होता आया है.
लेकिन, सर्वोच्च न्यायलय का एक निर्देश इस बात को बदल सकता है. चूंकि सर्वोच्च न्यायालय ने बीमा कवर को 2 लाख से बढ़ा कर 15 लाख रूपए कर दिया है, इससे लगता है की सर्वोच्च न्यायालय मुआवज़े की रकम से नाखुश है. इसलिए भविष्य में मुआवजा काफी ज्यादा हो सकता है. उदाहरण के लिए, बुरे-से-बुरे हालात – मसलन मौत – मुआवज़ा 15 लाख रूपए तक किया गया है.
लेकिन हर कार मालिक के पास तो बीमा होता ही है
नहीं, इंडस्ट्री के अनुमान के हिसाब से भारत की सड़क पर चल रही 3 में से 1 गाड़ी ही का बीमा हुआ है. जबकि क़ानून से मुताबिक़, थर्ड पार्टी बीमा अनिवार्य है. अब तक इस क़ानून को तोड़ने के लिए सजा बेहद हल्की रही है – ड्राइविंग लाइसेंस और कार के पंजीकरण के निलंबन और केवल 1,000 रूपए का जुर्माना.
इसलिए अगर आप गलती से ये कानून तोड़ देते हैं सबसे अच्छा रास्ता होगा, बीमा ले लेना और जुर्माना चुका कर अपना लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन वापस ले लेना.
तो क्या केवल थर्ड पार्टी बीमा की ही ज़रुरत है?
कानूनी रूप से हाँ, थर्ड पार्टी बीमा दुर्घटना में आपके द्वारा दूसरों, उनकी गाड़ी, या उनकी संपत्ति को पहुंचाए गए नुक्सान का कवर मिलता है.
ऐसा बीमा ना लेना बेवकूफी हो सकती है क्योंकि नए 15 लाख रूपए के कवर के लिए इसकी कीमत मात्र 700-800 रूपए है.
व्यापक बीमा की ज़रुरत
लेकिन, थर्ड पार्टी बीमा आपको या आपके कार को हुई क्षति का कवर नहीं देती. ये आपको केवल Own Damage (OD) बीमा में मिलता है. इसलिए हमारी सलाह होगी की आप व्यापक बीमा लें जिसमें आपको OD के साथ थर्ड पार्टी बीमा भी मिलता है.
व्यापक बीमा की कीमत ज्यादा होती है और इसके प्रीमियम का एक बड़ा हिस्सा OD बीमा में जाता है.
लेकिन, ये एक बुद्धिमानी वाला कदम है. हम बताते हैं कैसे: हाल में Policybazaar के द्वारा किये गए एक शोध के मुताबिक़, मुआवज़े की औसत रकम 19,000 होती है. इसका मतलब है की आपके कार की क्षति का औसत बिल 22,000-25,000 रूपए के बीच होगा [चूंकि अधिकाँश बीमा पालिसी में सभी पार्ट्स का कवर नहीं मिलता]. 12 लाख रूपए तक की अधिकाँश कार्स का व्यापक बीमा इससे बेहद कम होता है. इसके साथ ही आपको व्यापक बीमा में चोरी और निजी चोट का भी कवर मिलता है.
अंत में, नियम का पालन करना ही सही होता है.