सब-4 मीटर compact SUVs के उदय से इंडिया का मार्केट है उफान पर. चलिए समय में 13 साल पीछे और तब भी इंडियन मार्केट भरा था दिलचस्प कारों से. इनमें से एक थी Ford Fusion. ये थी वह क्रॉसओवर जिसने यूरोपियन मार्केट में तो अपना कमाल दिखाया लेकिन इंडिया में नहीं चल सकी. इंडियन मार्केट में Fusion करीब 6 साल तक रही लेकिन एक भी बार लोकप्रिय नहीं हुई. मॉडर्न एज सब-4 मीटर compact SUV से मिलती जुलती ये कार आखिर फ़ेल क्यों हुई? चलिए पता करते हैं!
क़ीमत सही न होना
Ford ने इंडिया में Fusion लॉन्च की थी पेट्रोल बेस वेरिएंट के लिए रु. 6.04 लाख की क़ीमत पर और बेस डीज़ल वेरिएंट के लिए रु. 6.98 लाख की कीमत पर. क़ीमत को लेकर संवेदनशील इंडियन मार्केट को ये गाड़ी तब तक पसंद आई जब तक इसका प्राइस टैग नहीं दिखा था. Fusion के मोटे प्राइस टैग ने कार के लुक्स को जस्टिफाई नहीं किया और ज़्यादातर लोगों को ये गाड़ी एक बड़ी उम्र की hatchback लगी.
C-सेगमेंट में उस वक़्त इस कीमत पर कई दूसरे आप्शन उपलब्ध थे. Maruti उस वक़्त ऑफर कर रही थी Swift और Esteem थी Fusion वाले ही प्राइस सेगमेंट में. Ford Ikon और Hyundai Accent जैसे भी दूसरे आप्शन उस वक़्त उपलब्ध थे.
आफ्टर-सेल्स सर्विस
Fusion के लॉन्च के वक़्त Ford को इंडियन मार्केट में आये ज्यादा वक़्त नहीं गुज़रा था. इंडियन कार खरीदारों के बड़े हिस्से के दिमाग में होती थी आफ्टर-सेल्स सर्विस और उस वक़्त Ford के सेल्स नेटवर्क का इंडिया में विस्तार हो ही रहा था. सीमित सर्विस सेण्टर के चलते, जिन ग्राहकों को Fusion खरीदनी भी थी वह भी इस बारे में दुविधा में थे.
Ford के स्पेयर पार्ट्स को कीमती समझा जाता था और उस समय ये काफी हद तक सही भी था. अभी Ford भले ही सबसे सस्ती आफ्टर-सेल्स सर्विस का वादा करती हो, लेकिन एकाध दशक पहले तक Ford की कहानी दूसरी ही थी.
खूब फ्यूल पीने वाले पावरफुल इंजन
Fusion आती थी पावरफुल इंजन ऑप्शन्स के साथ. एक 1.6 लीटर Duratec पेट्रोल इंजन था जो प्रोड्यूस करता था मैक्सिमम 100 बीएचपी और 143 एनएम् पीक टार्क. लेकिन, फ्यूल एफ़िशिएन्सी यहाँ थी एक बड़ी चिंता. 16-वाल्व, एंथुसीयास्टिक इंजन सिर्फ 10 km/l डिलीवर करता था, और ये बात मार्केट को बिलकुल पसंद नहीं आई. डीज़ल इंजन था एक 1.4 लीटर Duratorq जो प्रोड्यूस करता था मैक्सिमम 67 बीएचपी और 157 एनएम् पीक टार्क. डीज़ल इंजन का रिटर्न था करीब 17 km/l लेकिन तब डीज़ल एक लोकप्रिय फ्यूल आप्शन नहीं हुआ करता था.
बड़ी Hatchback
Fusion में थे 15 इंच व्हील्स और एक रोबदार प्रोफाइल. लेकिन इसका रुख आकर्षित करने वाला नहीं रहा. क्रॉसओवर लगने की बजाय Fusion दिखती थी एक बड़ी hatchback जैसी. इंडियन मार्केट को तब compact SUVs या क्रॉसओवर के बारे में जानकारी नहीं थी. कई साल बाद Ford EcoSport के साथ कॉम्पैक्ट SUVs की आक्रामक छवि बनाने में सफल हुई.
मार्केटिंग स्ट्रेटेजी
अपने वक़्त में Fusion थी वेल-इक्विप्ड कारों में से एक. Fusion आती थी फ्यूचर-रेडी ऑप्शन्स के साथ – जैसे की ABS, कोलैप्सिबल स्टीयरिंग कॉलम, इंजन इम्मोबिलाइज़र, क्रम्पल जोन, और भी बहुत कुछ. Maruti Swift लॉन्च हुई अगले साल और Maruti ने पूरी ताकत से Swift के एडवांस्ड सेफ्टी फ़ीचर्स हाईलाइट किये. दूसरी ओर, Ford Fusion को एक ‘नो नॉनसेंस’ कार के रूप में प्रचारित कर रही थी. अगर Ford ने कहा होता की Fusion एक एंथुसीयास्ट कार है और इसमें एडवांस्ड सेफ्टी फ़ीचर्स हैं तो शायद मार्केट में इसे कुछ पॉइंट्स हासिल हो सकते थे.