दिल्ली और तमिलनाडु के बाद झारखण्ड बन गया है देश का तीसरा राज्य जहाँ शुरू हुई है कारों और SUVs पर बुलबार के खिलाफ मुहिम. रांची के जिला परिवहन अधिकारी (डीटीओ) ने कार और SUV के मालिकों को चेतावनी दी है की अगर उन्हें बुलबार लगी गाड़ियाँ चलाते पाया जायेगा तो रु. 3,000 तक का जुरमाना भरना पड़ सकता है.
भारतीय मोटर वाहन अधिनियम के अनुच्छेद 52 – जो की आरटीओ या पुष्टिकरण करने वाली सम्बंधित एजेंसियों की मंज़ूरी के बिना गाड़ी में किसी भी तरह के मॉडिफिकेशन को प्रतिबंधित करती है — के तहत बुलबार अवैध हैं. वाहन चालकों के पास अपनी कारों और SUVs से बुलबार हटाने के लिए एक हफ्ते का समय है. ऐसा न करने पर पुलिस उनपर कार्रवाई करेगी.
रांची के डीटीओ नंगेन्द्र पासवान ने कहा,
केंद्रीय सड़क परिवहन और हाईवे मंत्रालय (MoRTH) ने एक पत्र भेजा है ये सुनिश्चित करने के लिए की गाड़ियों में क्रैश गार्ड नहीं लगाये गये हैं क्योंकि ये मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन है. हमने लोगों को एक सप्ताह का समय दिया है क्रैश गार्ड हटवाने के लिए. एक सप्ताह के बाद अगर गाड़ियों में क्रैश गार्ड लगे पाए जायेंगे तो पहली बार में रु. 1,000, दूसरी बार में रु. 2,000 और तीसरी बार से रु. 3,000 जुर्माने के रूप में भरना होगा. क्रैश गार्ड लगी गाड़ियों के हादसों की स्थिति में पैदल चलने वालों और बाइक-सवारों को ज्यादा नुकसान और चोटें आती हैं.
भारत में अब कारों और SUVs में बुलबार को बैन कर दिया गया है क्योंकि ये पैदल चलने वालों और दोपहिया-सवारों के हित में नहीं होते. हादसों में बुलबार से पैदल यात्री और दोपहिया-सवार बुरी तरह ज़ख़्मी हो सकते हैं, यहाँ तक की उनकी मौत भी हो सकती है. इनके कारण गाड़ियों के एयरबैग नहीं भी खुल सकते हैं जिससे की गाड़ियों में सुरक्षा फ़ीचर के तौर पर एयरबैग रखने का पूरा मकसद ही बेकार हो जाता है.
दो सप्ताह पहले, सड़क परिवहन और हाईवे मंत्रालय ने भारत के सभी राज्यों के परिवहन कमिश्नरों को पत्र भेज कर उनसे गुज़ारिश की है की वे बुलबार लगी गाड़ियों और SUVs के खिलाफ कार्रवाई करें. जहाँ दिल्ली, तमिलनाडु, और झारखण्ड ने बुलबार के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी है, दूसरे राज्यों के भी जल्द इसमें शामिल होने की उम्मीद है.