Tata Nano एक वक्त मार्केट में सनसनी बनकर लॉन्च हुई थी. 1 लाख रूपए की चौंकाने वाली कीमत वाली ये एंट्री लेवल हैचबैक ने दुनिया में तहलका मचा दिया था. Tata Nano एक दशक तक जीवित रही लेकिन ये मार्केट में कुछ ख़ास प्रदर्शन नहीं कर पायी. लेकिन Tata Nano के आने से बहुत पहले भारत की एक Meera मिनी कार हुआ करती थी जिसे हम एक प्रकार से Tata Nano का पूर्वज कह सकते हैं.
स्कूल से ही पढ़ाई छोड़ चुके Shankarrao Kulkarni को इंजीनियरिंग में उनके हुनर के लिए जाना जाता था. Kulkarni को जनता की गाड़ी बनाने का ख्याल 1945 में आया और तब भारत पर अंग्रेजों का शासन था. 1949 तक उन्होंने पहला 2-सीटर प्रोटोटाइप मॉडल भी बना लिया था. 1951 में उन्होंने दूसरा प्रोटोटाइप बनाया जिसमें 3 सीट्स थीं और इसमें और सुधार कर उन्होंने 1960 में एक और प्रोटोटाइप बनाया.
इस कार में कई नवीन फ़ीचर्स थे. इसका एयर-कूल्ड इंजन रियर में लगा था, इसका वज़न काफी कम था और इसमें रबर सस्पेंशन जैसे कई पैसे बचाने वाले पार्ट्स लगे थे. Kulkarni ने कहा की रबर सस्पेंशन इस्तेमाल करने से लगभग 100 पार्ट्स बचते थे और इंडिपेंडेंट सस्पेंशन होने के नाते एक चक्के का झटका दूसरे चक्के तक नहीं जाता था. इस गाड़ी का ग्राउंड क्लीयरेंस भी बदला जा सकता था. इसकी न्यूनतम क्लीयरेंस 6 इंच एवं अधिकतम ग्राउंड क्लीयरेंस 11 इंच की थी.
Kulkarni के सभी प्रोटोटाइप की माइलेज काफी ज़्यादा थी. 1951 मॉडल की अधिकतम माइलेज 21 किमी/लीटर थी और इसकी टॉप स्पीड लगभग 90 किमी/घंटे की थी. इसका एयर-कूल्ड 19 एचपी कागज़ पर उतना पॉवरफुल नहीं था लेकिन इसकी माइलेज बेहद अच्छी थी.
Meera के प्रोटोटाइप बेहद जल्दी तैयार हो रहे थे और 1960 के डिजाईन के बाद Kulkarni ने 1970 में इसका अंतिम डिजाईन फाइनल किया. आखिरी प्रोटोटाइप में 70 के दशक वाला स्टाइल था लेकिन Meera कार पहले के जैसी ही छोटी थी. इस कार में 3 दरवाज़े थे, एक ड्राईवर की तरफ और दूसरी तरफ दो. ये अभी भी एक रियर इंजन कार थी. 1975 में Kulkarni ने 14 बीएचपी उत्पन्न करने वाली इस कार में एक वाटर-कूल्ड V-Twin इंजन लगाकर इसे एक 4 स्पीड ट्रांसमिशन से जोड़ा. इस कार में अब 4 सीट्स थीं, आगे में छोटा सा बूट था, और इसकी माइलेज अभी भी 21 किमी/लीटर के आसपास थी.
Kulkarni ने इस कार को 12,000 रूपए में बेचने का प्लान बनाया था, लेकिन उनके पोते Hemant Kulkarni के मुताबिक़, भारत में कार लॉन्च करने की औपचारिकताएं एवं लालफीताशाही ने गाड़ी को प्रोडक्शन में जाने का मौका ही नहीं दिया. Kulkarni इस गाड़ी को मुंबई में एक प्रदर्शनी में पेश करने के लिए चलाकर ले भी गए थे. उन्हें Jaysinghpur नगर न्यास से मुफ्त ज़मीन भी मिली थी जहां Kulkarni कार का कारखाना लगा सकते थे. लेकिन उस वक़्त की नौकरशाही ने Kulkarni को आगे नहीं बढ़ने दिया एवं सरकार ने भी गाड़ी के लिए कोई मदद नहीं दी. जल्द ही, Suzuki भारत में आ गयी एवं उन्होंने अपनी पहली गाड़ी — 800 — के साथ पूरे बाज़ार को ही बदल डाला.
अगर Kulkarni की Meera प्रोडक्शन तक पहुँच गयी होती, भारत में ऑटो जगत की सूरत ही कुछ और होती. परंतु, हमें नहीं भूलना चाहिए की 2008 में Tata ने भी Nano के साथ ऐसा ही कुछ करने का प्रयास किया था पर कस्टमर्स ने उस कार को नकार दिया.