भारतीय कार मार्केट के लिए 2017 रहा एक एक्साइटिंग साल. मार्केट में कई नए ट्रेंड देखे गए, मसलन ज्यादा फ्यूल एफ़िशिएंट गाड़ियाँ, किफायती हॉट हैचेज़ का आना, और भी बहुत कुछ. 2018 में और भी कई नए ट्रेंड अपेक्षित हैं. हम आपके लिए ले कर आये हैं 10 ऐसे ट्रेंड जो 2018 में भारत को करेंगे टेकओवर.
टचस्क्रीन इन्फोटेनमेंट सिस्टम
टचस्क्रीन इन्फोटेनमेंट सिस्टम के किफायती होने की वजह से ज्यादा से ज्यादा गाड़ियाँ इन्हें ऑफर कर रही हैं. 2018 में हम इस ट्रेंड को और भी जोर पकड़ते देखेंगे जहाँ किफायती गाड़ियाँ भी टचस्क्रीन इन्फोटेनमेंट सिस्टम ऑफर करेंगी. टच सेंसिटिव इन्फोटेनमेंट सिस्टम ऑफर करते हैं एक आसान इंटरफ़ेस और केबिन को देते हैं एक कहीं बेहतर फ़ील.
स्टैण्डर्ड सेफ्टी फ़ीचर
जहाँ इंडियन गाड़ियों में अब तक बेसिक सेफ्टी फ़ीचर अनिवार्य नहीं हैं, निर्माताओं ने एयरबैग्स और ABS जैसे फ़ीचर्स गाड़ियों पर स्टैण्डर्ड के तौर पर ऑफर करने शुरू कर दिए हैं. प्रतिद्वंद्वी मार्केटिंग ज्यादा निर्माताओं को गाड़ियों में एयरबैग्स और ABS स्टैण्डर्ड के रूप में ऑफर करने के लिए मजबूर करेगी. कई निर्माताओं ने गाड़ियों में स्टैण्डर्ड के तौर पर ISOFIX चाइल्ड सीट हुक्स भी लगाना शुरू कर दिया है और हो सकता है इस साल में हम और भी निर्माताओं को ये ट्रेंड फॉलो करते हुए देखें.
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एक्टिव सेफ्टी फ़ीचर्स
भारतीय सरकार ने सभी 4-पहिया गाड़ियों पर एक्टिव सेफ्टी फ़ीचर्स – मसलन सीटबेल्ट रिमाइंडर, रियर पार्किंग सेंसर, और स्पीड अलर्ट सिस्टम – जुलाई 2019 से अनिवार्य कर दिए हैं. समय सीमा से पहले निर्माताओं के इस साल लॉन्च होने वाली सभी गाड़ियों में ये फ़ीचर्स लगा देने की उम्मीद की जा रही है. और दूसरे फ़ीचर्स में ड्राईवर साइड एयरबैग भी अनिवार्य कर दिए गए हैं.
स्मार्टफोन कनेक्टिविटी
टचस्क्रीन इन्फोटेनमेंट सिस्टम के आगमन के साथ, कई निर्माता गाड़ियों में Android Auto और Apple CarPlay स्मार्टफोन कनेक्टिविटी आप्शन ऑफर करने लगे हैं. चूँकि ये होते हैं कहीं ज्यादा आसान, सेफ, और इनका यूजर इंटरफ़ेस बेहतर होता है, इसलिए मार्केट ने ये नयी तकनीक काफी जल्दी स्वीकार कर ली है. नया स्मार्टफोन-बेस्ड कनेक्टिविटी आप्शन वॉयस कमांड आप्शन भी उपलब्ध कराता है और ये भी 2018 में बनने वाला है एक ट्रेंड.
बुलबार को अलविदा
चूँकि सरकार ने सड़कों को सुरक्षित बनाने का फैसला किया है, इसलिए आफ्टरमार्केट बुलबार पर की जा रही है सख्त कार्रवाई. ऐसे बुलबार पेडेस्ट्रियन को नुकसान पहुंचाते हैं और गाड़ी के क्रैश इम्पैक्ट को भी बदल देते हैं. चूँकि पुलिस ने ऐसी गाड़ियों पर कार्रवाई पहले ही शुरू कर दी है, हमें इस साल बुलबार वाली कम ही गाड़ियाँ सड़क पर दिखेंगी.
LED हेडलैम्प्स
LED हेडलैम्प्स, जो की अब तक सिर्फ हाई-एन्ड और प्रीमियम गाड़ियों तक ही एक्सक्लूसिव थे, अब आ गए हैं किफायती कार सेगमेंट में. 2018 में हमें दिखेंगी ऐसी कई गाड़ियाँ फ़ुल LED हेडलैम्प्स के साथ जो की रात को देंगी बेहतर रौशनी. किफायती मोटरसाइकिल्स में भी फ़ुल LED हेडलैम्प सिस्टम ऑफर होने लगे हैं और 2018 में ये ट्रेंड काफी जोर पकड़ेगा.
LED DRLs
जहाँ कई बाहरी मुल्कों में DRLs गाड़ियों के लिए अनिवार्य हैं, भारतीय सरकार ने उन्हें दोपहिया वाहनों के लिए अनिवार्य कर दिया है. हालाँकि, कई गाड़ियाँ इन्हें एस्थेटिक्स और प्रैक्टिकल पर्पस के लिए इन्कॉर्पोरेट करने लगी हैं. DRLs गाड़ियों को एक मस्क्युलर लुक देते हैं और इससे गाड़ी को स्पॉट कर पाने में भी आसानी होती है. इस साल हम इस ट्रेंड को किफायती गाड़ियों के सेगमेंट में आते देखेंगे.
डीज़ल में गिरावट
डीज़ल इंजनों में गिरावट आने लगी है और 2017 में सिर्फ 23% खरीददारों ने डीज़ल पावर्ड hatchback खरीदीं. 2018 में ये आंकड़ा आएगा और नीचे क्योंकि डीज़ल और पेट्रोल फ्यूल के दामों में अंतर ख़तम हो गया है. पेट्रोल फ्यूल का रिफाइनमेंट भी है एक बड़ी वजह जिसके कारण लोग स्टिकी फ्यूल की जगह् वोलेटाइल फ्यूल चुन रहे हैं.
इलेक्ट्रिक एरा
2018 बनेगा गवाह इलेक्ट्रिक गाड़ियों की शुरुआत का चूँकि निर्माता इस सेगमेंट में नए प्रोडक्ट लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं. अभी तक भारत में सिर्फ एक निर्माता इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ ऑफर करता है. 2018 में हम देखेंगे इस ग्रीन-कार सेगमेंट में कई और भागीदार और कई और विकल्प. इसमें एक बड़े शिफ्ट की वजह रही है भारतीय सरकार की 2030 तक भारत को इलेक्ट्रिक-वेहिकल एक्सक्लूसिव राष्ट्र बनाने की योजना.
Micro SUVs
Micro SUV सेगमेंट है भारत के सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाले सेग्मेंट्स में से एक. 2018 में हम देखेंगे निर्माताओं को इस बेहद कोम्पेटीटिव सेगमेंट में अपने प्रोडक्ट्स के साथ उतरते. Mahindra और Hyundai पहले ही इस साल इंडिया में सब-4 मीटर SUV लॉन्च करने की योजना बना चुके हैं और अपेक्षा है की और भी दूसरे निर्माता इस सेगमेंट में जल्दी ही उतरेंगे.