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भारत की सड़कों पर चलता हुआ एक टैंक कुछ ऐसा दिखता है!

अक्सर टैंक जैसे वाहन मिलिट्री कैंट या परेड वगैराह जैसी जगहों पर देखने को मिलते हैं. टैंक का आकार इतना बड़ा होता है और वो कितना आक्रामक दिखते हैं की आम लोगों उन्हें देखते ही रह जाते हैं. लेकिन, कैसा हो अगर एक दिन आप एक टैंक को अपने इलाके की सड़क से गुज़रते हुए देखें? आप भले ही चौंक जायेंगे लेकिन देश के कुछ हिस्सों में ये आम बात है. नीचे दिया गया विडियो इसी बात को दर्शाता है जहां एक टैंक बिल्कुल आराम से सड़कों पर चलता जा रहा है. ये सुनने में जितना अजीब लगता है, ये देखने में उससे भी ज्यादा अजीब है. आप नीचे दिए गए विडियो में इसे खुद देख सकते हैं.

यहाँ विडंबना ये है की मौके पर मोजूद लोग बड़े आराम से खड़े हैं और उन्हें बगल से टैंक के गुज़र जाने की रती भर भी प्रवाह नहीं है. Royal Enfield Thunderbird का राइडर टैंक के बगल से निकलते हुए इस विशाल युद्ध औज़ार के बजाय सामने खड़ी गाय को लेकर ज्यादा चिंतित नज़र आ रहा है. सद्फ्क के किनारे खड़े लोग भी टैंक के पास से गुज़र जाने पर बिल्कुल ध्यान नहीं देकर अपनी रोज़ की दिनचर्या में लगे हैं. भारत के शहर टैंक देखने के इतने आदि नहीं हैं. बल्कि कई शहरों में टैंक अगर ऐसे निकल जाए तो लोग चिंता से बहरे होने के बावजूद खड़े होकर टैंक को ज़रूर निहारेंगे.

भारत की सड़कों पर चलता हुआ एक टैंक कुछ ऐसा दिखता है!

ये विडियो Avadi नाम के जगह का है जो तमिलनाडु में चेन्नई में एक रिहायशी इलाका है. यहाँ के लोग टैंक की परवाह इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि यहीं पर टैंक्स का निर्माण होता है. फैक्ट्री में बनने वाले टैंक्स को इन सड़कों पर सकर टेस्ट किया जाता है और यहाँ से लोग इसे अक्सर देखने के आदि हो चुके हैं. आप ध्यान दे विडियो देखेंगे तो पायेंगे की पक्की सड़क पर नहीं बल्कि उसके किनारे चल रही है. पत्थर से बने इस रास्ते को केवल टैंक्स के लिए बनाया गया है. इस रास्ते पर ख़ास चौकोर बोल्डर को बिछाया गया है ताकि टैंक्स इसपर चल सकें. ये रास्ता में रोड से होकर गुज़रता है.

भारत की सड़कों पर चलता हुआ एक टैंक कुछ ऐसा दिखता है!

विडियो में आपको T-72 MBT (Main Battle Tank) दिख रहा है. इन्हें भारत में अजेय टैंक के नाम से जाना जाता है और ये असल में रूसी T-72 टैंक्स हैं. भारत में 1978 में इन T-72 टैंक्स को संयुक्त सोवियत राष्ट्र से खरीदना शुरू किया था और उसी समय के आसपास T-72M1 टैंक को Avadi के पास भारी वहां निर्माण फैक्ट्री में बनाना शुरू कर दिया गया था. Avadi में टैंक्स अक्सर इस फैक्ट्री के इंजन विभाग और Directorate General of Quality Assurance (DGQA) के ट्रायल ग्राउंड के बीच से गुज़रते हुए नज़र आते हैं. इंजन विभाग और बलुआही ट्रायल ग्राउंड की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है और यहाँ से लगभग रोज़ 30 टैंक्स गुज़रते हैं. इससे पता चलता है की यहाँ के लोग टैंक्स को लेकर उतने उत्साहित क्यों नहीं रहते!