Automated Manual Transmissions (AMTs) पिछले कुछ सालों में काफी पॉपुलर हो गए हैं. जहां ये ट्रांसमिशन्स पहले सिर्फ Maruti Alto, Tata Tiago और Tata Nano जैसे बजट हैचबैक्स में उपलब्ध थे अब निर्माताओं ने इन्हें Maruti Swift, Tata Nexon, Renault Duster, और Maruti Vitara Brezza जैसी महंगी कार्स में भी ऑफर करने लगे हैं. तो मूलतः, Automated Manual Transmissions (AMTs) अब मेनस्ट्रीम मार्केट के कई सेग्मेंट्स में आने लगी हैं. लेकिन क्या ये पहले से बेहतर हैं? हाँ! पेश है AMT कार्स खरीदने के 6 बड़े कारण.
ऑटोमैटिक गियर शिफ्ट के चलते अतिरिक्त ड्राइविंग कम्फर्ट
AMT-लगी कार का सबसे बड़ा एडवांटेज होता है की शहर के भीड़-भाड़ वाले सड़कों पर वो और भी किसी आम ऑटोमैटिक कार्स जितनी आरामदायक होती है. ऑटोमैटिक कार्स के जैसे ही, AMT लगी कार्स में क्लच पेडल नहीं होता. इसलिए आपको गियर बदलने के लिए हर बार क्लच इस्तेमाल करने की ज़रुरत नहीं होती.
नए ड्राइवर्स को मैन्युअल से ज़्यादा AMTs हैंडल करने में आसानी होती है
जिन लोगों को ड्राइविंग का ज़्यादा अनुभव नहीं होता, उन्हें मैन्युअल ट्रांसमिशन के मुकाबले AMT कार्स हैंडल करना ज़्यादा आसान लगता है, क्योंकि उन्हें गियर्स बदलने के लिए बार-बार क,उत्च इस्तेमाल करने की ज़रुरत नहीं होती. कई नए ड्राइवर्स को क्लच के इस्तेमाल को सीखने में समय लग जाता है. इसलिए गियर शिफ्ट उतने स्मूथ नहीं होते. वहीँ AMT में ये सारा काम इलेक्ट्रॉनिक्स संभाल लेते हैं. ड्राइवर्स को क्लच इस्तेमाल करने या गियर्स मैन्युअली बदलने की दिक्कत नहीं आती. Tata Tiago एक ऐसी ही कार है जिसमें AMT है और कई नए ड्राइवर्स इसे चलाना पसंद करते हैं.
माइलेज भी मैन्युअल कार्स जैसी ही होती है
पारंपरिक ऑटोमैटिक कार्स मैन्युअल जितना माइलेज नहीं देते. लेकिन AMTs के साथ आपको माइलेज में कमी के बार में नहीं सोचना पड़ता. असल में कुछ ऐसे मामले भी आये हैं जहां AMTs ने माइलेज के मामले में अपने मैन्युअल वर्शन से बेहतर परफॉर्म किया है. अधिकांश मामलों में, AMT आम मैन्युअल वैरिएंट जितने ही किफायती होते हैं. उदाहरण के लिए, हाल में लॉन्च हुई Vitara Brezza AMT और Nexon AMT अपने मैन्युअल वर्शन जितना ही माइलेज देते हैं. और यही बात Maruti Swift के लिए भी लागू होती है. इसका मतलब ये है की माइलेज पर ध्यान रखने वाले कस्टमर्स के लिए AMTs काफी अच्छी पसंद साबित होते हैं.
पारंपरिक ऑटोमैटिक से कम मेंटेनेंस
AMTs ना सिर्फ पारंपरिक ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन से ज़्यादा किफायती होते हैं बल्कि उनका मेंटेनेंस भी आसान होता है. ये उनके सिंपल बनावट के चलते होता है. मूलतः, एक AMT यूनिट में आम मैन्युअल ट्रांसमिशन और इलेक्ट्रो-हाइड्रोलिक सिस्टम होता है जो क्लच के इस्तेमाल और गियर्स की मैन्युअल शिफ्टिंग का काम संभाल लेता है. उनके सिंपल बनावट के चलते उनके मेंटेनेंस आधुनिक और महंगे स्स्य्तेम इस्तेमाल करने वाले पारंपरिक ऑटोमैटिक्स से आसान होता है.
पारंपरिक ऑटोमैटिक से कम महंगे
AMTs पारम्परिक ऑटोमैटिक से सस्ते भी होते हैं. अक्सर पारंपरिक ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाले कार्स की कीमत उनेक मैन्युअल वर्शन से एक लाख रूपए ज़्यादा होती है. अगर आप ड्यूल क्लच वाली कार्स को देखें तो ये अंतर और भी बढ़ जाता है. वहीँ दूसरी ओर, अधिकांश AMT वाली कार्स अपने मैन्युअल वैरिएंट से मात्र 40,000-50,000 रूपए ज़्यादा महंगी होती हैं. जैसा की हमने कहा, AMTs में पारंपरिक ऑटोमैटिक से ज़्यादा सिंपल मैकेनिज्म इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए, AMT सिस्टम्स, आम ऑटोमैटिक के मुकाबले ज़्यादा सस्ती होती हैं. Maruti Swift और Tata Tiago के AMT वर्शन भी उनके मैन्युअल वैरिएंट से बस थोड़े ही ज़्यादा महंगे हैं.
AMTs अब पारंपरिक ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन जितनी अच्छी हो गयी हैं
पिछले जनरेशन वाली AMTs की आलोचना इसलिए की गयी थी क्योंकि उनमें कई ऐसे फ़ीचर्स नहीं थे जो पारंपरिक ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन्स में मिल करते थे. लेकिन AMTs की नयी पीढ़ी अब पारंपरिक ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन्स जितनी अच्छी हो गयी हैं. लेटेस्ट AMTs में आपको किक डाउन मोड और हिल होल्ड मोड वगैरह मिल जायेंगे जो उन्हें पारंपरिक ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन्स जितना आधुनिक बनाते हैं. इन बदलावों के चलते पहाड़ी इलाकों में AMT कार इस्तेमाल करना दिक्कत की बात नहीं रह गयी है. और तो और, AMTs किक डाउन मोड के चलते चलाने में भी काफी रोचक हो गयी हैं.