सुपरकर्स वो मशीनें हैं जिन्हें हर कार शौक़ीन अपने गेराज में खड़ी हुई देखना चाहते हैं. हालांकि, भारत में रहना इस सपने को सच कर दिखाने में अपने साथ कुछ बाधाएं भी लाता है, जिसमें इन कार्स की अधिक महंगी कीमतें और उनपर लगाए जाने वाला भारी टैक्स शामिल हैं. आइए जानें कि नियमित कार में आप ऐसा क्या कर सकते हैं जो सुपरकार में नहीं की जा सकतीं हैं.
स्पीड ब्रेकर्स को हल्के में लेना
भारत में स्पीड ब्रेकर्स विभिन्न आकारों के होते हैं. इनमें से अधिकतर स्पीड ब्रेकर्स अवैध हैं और निवासियों द्वारा वाहनों को धीमा करने के लिए बनाए जाते हैं. जहाँ नियमित कार्स धीमी हो सकती हैं और कभी-कभी बिना किसी बड़े परिणाम के उन्हें पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर सकती हैं, एक सुपरकार ड्राइवर को ऐसे बंपर्स को पार करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करना पड़ता है. स्पीड ब्रेकर्स को पार करते समय लो ग्राउंड क्लीयरेंस एक बड़ी समस्या बन सकती है. लापरवाही होने से परिणामस्वरूप नुकसान हो सकता है, जैसे अंडरबॉडी का टूट जाना या घिस जाना.
सार्वजनिक सड़कों पर सिर्फ 10% पॉवर का मज़ा ले सकते हैं
अधिकांश भारतीय सड़कों पर यातायात के साथ अत्यधिक भीड़ मौजूद होती है. सुपरकार्स हाई-पॉवर्ड इंजनों के साथ आती हैं जिनका उपयोग ऐसी सड़कों पर ठीक से नहीं किया जा सकता है. अधिकांश सुपरकार्स 500 से अधिक बीएचपी, इंजन द्वारा संचालित होती हैं लेकिन उन्हें शायद ही कभी इस पॉवर को इस्तेमाल करने का मौका मिलता है. अफसोस की बात है कि, भारत में बहुत कम रेस ट्रैक्स हैं जिसके कारण इन पॉवरफुल कार्स का उचित उपयोग और भी ज़्यादा सीमित हो जाता है.
बेख़ौफ़ पार्क कर देना
सुपरकार्स जनता का बहुत ध्यान आकर्षित करती हैं. आप एक आम कार की तरह एक सुपरकार को बिना किसी चिन्ता के पार्क नहीं कर सकते हैं. ज़्यादातर उत्सुक जनता इस फैंसी कार को देखते ही इसमें ऊँगली करने लगती है और इस पर हल्की ख़रोंचें भी लगा सकती है. यही कारण है कि हम सार्वजनिक पार्किंग स्थल में ज़्यादा सुपरकार्स नहीं देखते हैं.
ट्रैफिक में समझदारी परतना
भारतीय सड़कों पर पर्याप्त उदाहरण हैं जो निश्चित रूप से इस बात को सही साबित करते हैं. सुपरकार दिखाई दे जाना कम ही होता है और भले ही भारतीय सड़कें ऑटोमोबाइल से भरी हुई हैं, सुपरकार्स की छवि लोगों ध्यान काफी आकर्षित करती है. कई बार दूसरे सड़क उपयोगकर्ता तस्वीरें लेने की कोशिश में खतरनाक रूप से सुपरकार्स के करीब ड्राइव करने का प्रयास करते हैं. अक्सर, रेस के लिए भी सुपरकार्स को खुले तौर पर चुनौती दी जाती है जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं.
एकांत में रहें
सड़कों पर, पैदल चलने वाले अक्सर इन दुर्लभ कार्स के साथ अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पिक्चर खींचने के लिए मुस्कुराते हुए आते हैं. कभी-कभी, लोग फ्लैश मोब की तरह इकट्ठे होते हैं और ऐसा करते वक्त कार को ब्लॉक कर देते हैं. यहाँ तक कि ट्रैफिक पुलिस वालों को भी सुपरकार्स के साथ पोज़ मारते देखा गया है.
किसी भी आम पेट्रोल पम्प पर तेल डलवाना
सुपरकार्स पेचीदा इंजन के उपयोग से ईंधन को पॉवर में बदलती हैं. लो ग्रेड या खराब ईंधन का उपयोग इंजन को बंद और ख़राब करने का कारण बन सकता है। हम सब भारतीय पेट्रोल पम्पस पर मिलने वाले तेल की क्वॉलिटीज़ से अच्छी तरह परिचित हैं. सुपरकार मालिकों के लिए हाई क्वॉलिटी ईंधन स्टेशनों को ढूंढना महत्वपूर्ण है जहां वो हाई क्वॉलिटी ईंधन के साथ-साथ हाई ऑक्टेन नंबर वाला प्रीमियम ईंधन भी पा सकते हैं. जब कार में तेल की सूई ख़तम पर हो तो एक सुपरकार का मालिक होना आम कार के मालिक होने से कई गुना पेचीदा होता है.
बिना सड़क की हालत की फ़िक्र करे कार से घूम सकते हैं
जबकि नियमित मालिक मैप सेवाओं का उपयोग करते हैं और अपना कोर्स निर्धारित करने से पहले यातायात की स्थिति देखते हैं, सुपरकार मालिकों को यह सुनिश्चित करना होता है कि किसी अन्य एरिया की सड़कें उनकी कार्स के हिसाब से पर्याप्त हैं या नहीं. सुपरकार मालिकों के लिए खुद जांच किए बिना या किसी के द्वारा चेक करवाए बिना अज्ञात सड़क पर अपनी कार ले जाना असंभव है. अगर एक सुपरकार एक बड़े स्पीड ब्रेकर या गहरे गढ़े पर फंस जाती है तो ये अच्छा खासा तमाशा बन जायेगा जो कि भारत में हम कम ही होता हुआ देखते हैं.
पुलिसवालों से बचना
जनता की तरह, पुलिसवाले भी सुपरकर्स पर अतिरिक्त ध्यान देते हैं. हालांकि अधिकांश नियमित कार्स के लिए पुलिस द्वारा कई मामूली अपराधों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, फिर भी वो सुपरकार्स पर ख़ास नज़र रखते हैं. अक्सर पुलिस सुपरकर्स को कागजात की जांच करने के लिए रोकती है. ये उन्हें सुपरकार्स को नजदीक से देखने का मौका भी देता है.
कार की रिपेयरिंग फटाफट करवा सकते हैं
अफसोस की बात है कि भारत में अभी तक कोई भी सुपरकार नहीं बनाई जाती है, और हाई टैक्स ये सुनिश्चित करता है कि इन कार्स के स्पेयर पार्ट्स का लगभग शून्य स्टॉक रह पाए. यदि एक सुपरकार का कोई पुर्ज़ा ख़राब हो जाता है या सुपरकार दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है, तो इन पुर्ज़ों को फैक्ट्री से स्पेशल आर्डर देकर इम्पोर्ट करवाना पड़ता है. ये प्रक्रिया लंबी और थकाऊ है और अक्सर सुपरकार्स को ठीक करने में महीनों लग जाते हैं.
पिताजी के बताए हुए ‘मुन्ना’ मैकेनिक से भी कार सही करवा सकते हैं
हम सभी एक भरोसेमंद मैकेनिक जानते हैं जो हमेशा त्वरित समस्या निवारण के लिए होता है. हालांकि, सुपरकार्स की जटिलता मालिकों को ऐसा करने की अनुमति नहीं देती है. यदि सुपरकार ख़राब हो जाती हैं तो सड़क के किनारे बैठे मैकेनिक का कोई फायदा नहीं होता है, जिसका मतलब है कि कम्पनी के सर्विस स्टेशन की मदद आने में घंटों लग सकते हैं.