मॉडर्न कार्स में कई आरामदायक फ़ीचर्स होते हैं. इनमें से कई फ़ीचर्स काफी महत्वपूर्ण होते हैं और इन्हें हटाया नहीं जा सकता. लेकिन, कुछ ऐसे फीचर्स भी होते हैं जिनकी कोई ख़ास ज़रुरत नहीं होती और उनका प्रचार बेकार में किया जाता है. इन पोस्ट में हम 10 ऐसे ही फ़ीचर्स के बारे में बात कर रहे हैं जिन्हें आप पूरी तरह से नज़रन्दाज़ कर सकते हैं.
बेकार के प्रचार वाले फ़ीचर्स जिन्हें नज़रन्दाज़ किया किया जा सकता है:
बिना चाबी का पुश बटन स्टार्ट
बिना चाबी का पुश बटन स्टार्ट फीचर अब अधिकांश B-सेगमेंट हैचबैक्स में भी आने लगा है. इस फीचर को अक्सर कार के टॉप-एंड ट्रिम में ऑफर किया जाता है और कार निर्माता इसे ऐसे हाईलाइट करते हैं जैसे ये फीचर होना बिल्कुल ज़रूरी है. हमें लगता है की ये फीचर कार की वैल्यू में कोई ख़ास इजाफा नहीं करता. जहां इसकी मदद से आप बिना चाबी निकाले कार को अनलॉक कर सकते हैं और इसे एक बटन दबा कर स्टार्ट कर सकते हैं, लेकिन ये कुछ ऐसा भी नहीं है जिसके बिना बात बिगड़ जायेगी.
आजकल अधिकांश कार्स में रिमोट लॉकिंग होती है और अनलॉक बटन दबाना कोई मेहनत का काम नहीं होता. साथ ही कार के इंजन को चाबी से शुरू करना भी कोई बड़ा काम नहीं. इसलिए इस फीचर का ना होना भी कोई बड़ा असर नहीं डालेगा.
ऑटोमैटिक हेडलैंप्स
अब मेनस्ट्रीम कार निर्माता भी इस फीचर को B-सेगमेंट हैचबैक के टॉप-एंड ट्रिम्स और C-सेगमेंट सेडान्स में ऑफर करने लगे हैं. ऑटोमैटिक हेडलैंप एक लाइट सेंसर का इस्तेमाल करते हैं जिससे अँधेरा होने पर हेडलैम्प्स अपने आप जल उठते हैं. तो मूलतः ये फीचर आपको अँधेरे में हेडलैम्प्स को ऑटोमैटिक तरीके से जला कर मदद करता है. सच कहें तो ये इस फीचर की कोई ज़रुरत नहीं. अगर आपको ये पता नहीं चल रहा की आपको हेडलैंप कब ऑन करना चाहिए तो शायद आप कार चलाने योग्य नहीं हैं.
कार का हेडलैंप ऑन करना एक ऊँगली चलाने से ज्यादा का काम नहीं है. इसलिए वो काम जो आसानी से किया जा सकता है उसके लिए ज़्यादा पैसे खर्च करना बुद्धिमता की बात तो नहीं ही है.
सनरूफ
जहां इंडिया में कई कार कस्टमर्स सनरूफ के लिए ज़्यादा पैसे खर्च करने को तैयार हैं ये हमारे देश जैसे गर्म मौसम वाली जगह के लिए बिल्कुल ही गैर-ज़रूरी फीचर है. पूरे साल इंडिया का मौसम काफी गर्म या ठंडा रहता है इसलिए आप अपने सनरूफ का लुत्फ़ मुश्किल से उठा पायेंगे. और तो और, शहरों में प्रदुषण एक नयी समस्या है और ऐसे में एसी चला कर खिड़कियाँ चढ़ाए रखना सबसे अच्छा कदम है.
बेज इंटीरियर्स
जहां इंडिया के कस्टमर्स को लगता है की बेज इंटीरियर से उनकी कार ज़्यादा प्रीमियम लगेगी, ये कभी नहीं भूलना चाहिए की इसे मेन्टेन करना किसी चुनौती से कम नहीं. बेज इंटीरियर आसानी से गंदे हो जाते हैं. और तो और आपको इंटीरियर साफ़ रखने में काफी समय और पैसा लगाना पड़ेगा. इसलिए ग्रे/ब्लैक इंटीरियर ज्यादा प्रैक्टिकल है.
टच एसी कण्ट्रोल
निर्माता अब कई कार्स के टॉप-एंड वैरिएंट में टच एसी कण्ट्रोल ऑफर करने लगे हैं. जहाँ ये देखने में अच्छे लगते हैं, इन्हें इस्तेमाल करने में ज़्यादा ध्यान देने की ज़रुरत होती है, इसलिए इन्हें इस्तेमाल करना ज़्यादा सुरक्षित नहीं होता. जहां कार इस्तेमाल करने वाले लोग बटन और नॉब को बिना देखे इस्तेमाल कर लेते हैं टच कण्ट्रोल में आपको ज़्यादा ध्यान देना होता है. इसलिए ड्राइविंग के दौरान इन्हें इस्तेमाल करने में आपका ध्यान भटक सकता है और एक्सीडेंट की संभावना बढ़ जाती है.
प्रोक्सिमिटी सेंसर्स
कई हाई-एंड गाड़ियों में प्रोक्सिमिटी सेंसर्स लगे होते हैं जो किसी भी चीज़ को कार के बेहद करीब आने की स्थिति में अलार्म बजा देते हैं. इंडिया जैसे भीड़-भाड़ वाले देश में ये फीचर काफी परेशान करने वाला होता है. बाकी रोड इस्तेमाल करने वालों से दूरी बनाने की कोई गुंजाइश ही नहीं बचती.
एम्बिएंट लाइट
आजकल कई कार्स में एम्बिएंट लाइट ऑफर होता है. एम्बिएंट लाइट से केबिन ज्यादा कूल ज़रूर लगता है लेकिन इससे ड्राईवर का ध्यान भटक भी सकता है. अगर आप अपनी गाड़ी में डिस्को करने का सोच रहे हैं टन शौक से एम्बिएंट लाइट वाली कार लीजिये.
आर्टिफीशियल रूफ रेल्स
आजकल अधिकांश SUVs में आर्टिफीशियल रूफ रेल्स होते हैं. लेकिन ये बस दिखावे के लिए होते हैं. जहां वो आपको SUV को स्टाइलिश लुक देते हैं. उनका और कोई इस्तेमाल नहीं होता. और तो और ये सस्ते भी नहीं होते. इसलिए इसे नज़रन्दाज़ करना ही बेहतर है.
वौइस कमांड
जहां वौइस कमांड काफी ज़रूरी साबित हो सकते हैं, इंडिया जैसे देश में ये काफी गैर-ज़रूरी हैं. इनमें से अधिकांश सिस्टम इंडियन एक्सेंट नहीं समझ पाते इसलिए इनका कोई काम नहीं. और इसे इस्तमाल करते हुए ड्राईवर का ध्यान भी भटक सकता है. जब तक आप किसी विदेशी एक्सेंट को कॉपी करने का नहीं सोच रहे इससे दूर ही रहिये.
ऑटोमैटिक वाइपर्स
ऑटोमैटिक वाइपर्स विंडस्क्रीन पर पानी को डिटेक्ट करने के लिए सेंसर्स का इस्तेमाल करते हैं. और ऑटोमैटिक हेडलैम्प्स की तरह ऑटोमैटिक वाइपर्स भी अति-प्रचार किये हुए फ़ीचर्स हैं. वाइपर्स को ऑन करने के लिए भी ख़ास मेहनत नहीं करनी होती. इसलिए इनके लिए ज़्यादा दाम चुकाना कोई बुद्धिमानी का काम नहीं.